दिल्ली का इतिहास
जिसको आज हम सब भारत की राजधानी दिल्ली कहते हैं वह बहुत समय पहले किसी खंडप्रस्थ के नाम से एक जंगल के रूप में थी तथा बाद में इसको एक सुंदर नगरी बसाया गया तथा कई बार उजाड़ा गया इसी को मैंने अपने ब्लॉग में लिखा है कि कैसे इसको उजाड़ा पर किसने इस को बसाया और किन-किन शासक अपने अनुसार को बसाकर शासन किया।
खांडवप्रस्थ
इंद्रप्रस्थ
महाभारत के समय जब पांडव वनवास के कार्यकाल को पूरा करके आए तब हस्तिनापुर के राजा दृष्ट राष्ट्र ने खंड वन वन क्षेत्र को पांडव को सौंप दिया पांडव ने इसको नगर बसाने की योजना से इसमें आग लगाकर विश्वकर्मा की मदद से इस को स्वर्ग जैसा बनाया गया । उन्होंने इससे इंद्रप्रस्थ नामक नाम देकर बसाया। इंद्रप्रस्थ इसलिए नाम रखा गया क्योंकि यह इंद्रदेव के जैसा स्वर्ग था। जब पांडव को दोबारा वनवास जाना पड़ा तबीयत फिर से उजाड़ सा हो गया था।
पृथ्वीराज चौहान में दिल्ली
12 वीं शताब्दी में पृथ्वीराज चौहान की भी एक रियासत थी जिसकी राजधानी दिल्ली बनाई गई थी दिल्ली के कुतुब मीनार और महरौली का निकटवर्ती प्रदेश पर पृथ्वीराज के समय की दिल्ली था यह पृथ्वीराज चौहान ने कई निर्माण किए थे।
गोरी के काल में दिल्ली
इसके काल में पृथ्वीराज चौहान से युद्ध हुआ इस दौरान इसने दिल्ली पर कई बार आक्रमण किया दिल्ली को उजाड़ा और अंत में दिल्ली को कब्जा लिया गया । गोरी ने भारत से लौटते वक्त अपने बेटे शहाबुद्दीन ने गद्दी संभालने के बाद कुतुबुद्दीन ऐबक को दिल्ली की कमान सौंप दी कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1206 में दिल्ली में महरौली बसाया।
इसी तरह कई वंश ने दिल्ली को उजाड़ा और दिल्ली पर शासन किया जिसमें खिलजी वंश तुगलक वंश तैमूर वंश लोदी वंश, हिमायू वंश, मुगल वंश ने दिल्ली को अपने अपने तरीके से बसाया और उस पर राज किया। शाहजहां काल में जामा मस्जिद मीनार बाजार चांदनी चौक तथा लाल किला बनाया गया
अंग्रेजों का शासन में दिल्ली
इन सब वंश के बाद दिल्ली को अंग्रेजों ने ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों में कमान सौंप दी गई और इन्होंने भारत की राजधानी कोलकाता से 1911 में दिल्ली हस्तांतरित कर दी गई।
भारत आजाद होने के बाद फिर यह स्थाई रूप से भारत की राजधानी बन गई और दिल्ली में विकास होता गया
1 टिप्पणियाँ
Delhi to hai hi itni achhi. Yha pr to ek se ek jagah hai jo gumne ke liye hai
जवाब देंहटाएंthanks and follow