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कहां पर है :-
यह भारत की राजधानी दिल्ली के केंद्र में संसद भवन के नजदीक पंडित पंत मार्ग गुरुद्वारा रकाबगंज रोड नई दिल्ली में है|
इसका इतिहास :-
यह स्थान जो आज रकाबगंज गुरुद्वारे के नाम से जाना जाता है यह कभी 16 वीं तथा 17 वीं शताब्दी के बीच भाई लक्खी शाह वनजारे के घर के रूप में जाना जाता था जो कि सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर के शिष्य थे
फिर उसी शताब्दी में कुछ ऐसा हुआ कि 17 वीं शताब्दी के बाद इस स्थान को धार्मिक स्थान के ऐतिहासिक रूप में जाना जाने लगा और इसका कारण था कि यहां पर गुरु तेग बहादुर जी, जो कि सिखों के 9 वे गुरु थे उनके धड़ का अंतिम संस्कार हुआ जिससे इस जगह को ऐतिहासिक जगह मानने लगे।
अंतिम संस्कार कैसे हुआ
सन 11 नवंबर 1675 ईस्वी को गुरु तेग बहादुर जी का शीश काटा गया( इसकी पूरी जानकारी के लिए चांदनी चौक के शीश गंज का इतिहास पढ़ें शीशगंज का इतिहास)
तब वहां से गुरुजी का पवित्र शीश भाई जैता जी श्री आनंदपुर साहिब ले गए और गुरुजी के पवित्र धड़ को भाई लक्की साहब वनजारा इस स्थान पर अपनेे घर ले आये, जहां उन्होंने चिता रचकर अपने घर को अग्नि भेंट कर रात के समय में धड़ का अंतिम संस्कार कर दिया और अस्थियों को गागर में डालकर अगीठे वाली जगह स्थापित कर दिया।
यादगार बनाया गया
जब गुरु तेग बहादुर जी के शहीद होने के बाद और लखीशाह वनजारा के द्वारा अंतिम संस्कार करने के बाद इसकी घटना घटने के बाद सिक्ख मिसलो के जमाने में जब करोड़ सिंधिया मिसल के जत्थे के साथ बाबा बघेल सिंह ने दिल्ली फतह की तो उन्होंने इस पवित्र स्थान पर यादगार कायम की।
इस गुरुद्वारे की स्थापना
सन् 1857 ईसवी के गदर के बाद सिक्ख रियासतों के उद्गम से इस गुरुद्वारे के चारों तरफ पक्की पत्थर की दीवारें बनाई गई। सन 1914 ईस्वी में जब अंग्रेज सरकार ने भारत की नई राजधानी के लिए नए भवनों के निर्माण के लिए गुरुद्वारे की चारदीवारी को गिरा दिया गया।तथा सिक्ख पंथ रोष(गुस्से) की लहर दौड़ पड़ी। बहुत प्रयत्न करने के पश्चात अंग्रेज सरकार को मजबूर होकर गिराए गए दीवार को फिर से बनवाना पड़ा। लक्की शाह वंजारा के समय यहां रकाबगंज नामक एक छोटा सा गांव था। जिसके रहने वाले लोग कुछ समय पश्चात कहीं और जाकर चले गए इस पवित्र स्थान का नाम उसी गांव के नाम से रकाबगंज प्रसिद्ध हुआ
गुरद्वारा साहिब की इमारत की सेवा स. हरनाम सिंह सूरी (पूसा रोड वाले) ने 8 जनवरी 1957 ईस्वी को करवाई।
इसका आकार व रूप
इस गुरुद्वारे का आकार भी बाकी गुरुद्वारे की तरह ही है जैसे गुरुद्वारा बंगला साहिब है उसी प्रकार इसका है इसको सफेद संगमरमर के पत्थर से बनाया गया है तथा गुरुद्वार के चारों ओर ईट की दीवार से बनाई गई है। इस गुरुद्वारे के दो मुख्य दरवाजे हैं जो पूर्व की ओर है।
मुख्य द्वार पहला
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मुख्य द्वार दूसरा
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इस गुरुद्वारे के अंदर की महत्वपूर्ण बिंदु
1. इस गुरुद्वारे के रोड से दो मुख्य द्वार हैं जो अभी एक ही खुला रहता है और दूसरा अभी बंद किया हुआ है।
2. इस गुरुद्वारे के अंदर माथा टेकने के लिए चारों ओर से चार द्वार है।
3. इसको गुरुद्वारे में 1984 के हुए दंगे के वार मेमोरियली है।
4. इस गुरुद्वारे में दिल्ली सिक्ख प्रबंधक कमेटी का भी कार्यालय है उसका द्वार उत्तर की दिशा में हैं।
5. इस गुरुद्वारे के अंदर बाकी गुरुद्वारे की तरह लंगर हॉल भी है।
6. इसके अंदर भाई लक्खी शाह वंजारा हाल भी हैं जिसमें प्रोग्राम किए जाते हैं।
7. इसके मुख्य द्वार के समीप प्याऊ जल भी है जिसकी स्थापना 2019 में की गई
8. इसके अंदर एक कॉलेज भी हैं जो इंटरनेशनल सिक्ख स्टडी के लिए हैं।
9. इस गुरुद्वारे के अंदर चारों तरफ हरियाली है।
10. इस गुरुद्वारे में कुछ कार्य प्रगति पर चल रहा है जो जूता घर के लिए बनाया जा रहा है।
गुरुद्वारे का समय
इस गुरुद्वारे का समय भी बाकी गुरुद्वारे के समय की तरह ही 24 घंटे खुला रहता है तथा वर्ष के 12 महीने खुला रहता है।
यहां के लिए यातायात
इस स्थान पर आप रेल, बस, हवाई जहाज, मेट्रो रेल, कार, अपनी यातायात साधन से आ सकते हैं।
1.यहाँ नजदीकी रेलवे स्टेशन नई दिल्ली है
2. इसके समीप ही यहां बस स्टैंड भी है जो दिल्ली के अलग-अलग इलाके से आती हैं जो की केंद्रीय टर्मिनल है ।
3. यहां का नजदीकी मेट्रो स्टेशन पटेल चौक व केंद्रीय सचिवालय और राजीव चौक हैं।
4. यहां का इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट है
आशा करता हूं कि आपको मेरा यह बनाया गया आर्टिकल अच्छा लगा होगा।अगर आपको अच्छा लगा हो तो आप इसको आगे शेयर जरूर करें और इस जगह को जरूर देखने जाए।
By Mohit Kumar
दो मुख्य द्वार
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दूसरे गेट से अंदर का हिस्सा
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पहले मुख्य द्वार पर प्याउ जल
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इंटरनेशनल सिक्ख स्टडी
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लक्खी शाह वनजारा (Hall)
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सिख प्रबंधक कमेटी व गुरु गोविंद सिंह भवन
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यहा की हरियाली के कुछ फोटो व कार्यप्रगति
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यहा के नजदिक का संसद भवन
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Note: इसको आप किसी भी भाषा में पढ़ सकते हो इसके लिए आपको गूगल ट्रांसलेट जो साइड में है उससे भाषा सेलेक्ट करनी होगी।
1 टिप्पणियाँ
Bohot Acha hai , or mujhe to iss jagah ke bare mai pata bhi nhi tha
जवाब देंहटाएंthanks and follow