जिसे दिल्ली का छटा शहर कहते हैं उसी पुराने किले का इतिहास
पुराने किले का इतिहास भी उतना ही रोचक है जितना कि हुमायूँ और शेरशाह सूरी का इतिहास है क्योंकि इस किले का इतिहास हिमायू और शेरशाह सूरी का इतिहास इसी किले पर आधारित रहा है इसलिए इस किले के इतिहास के बारे में जानने के साथ-साथ आप हुमायूं और शेर शाह सूरी के बारे में भी जान जाएंगे।
यह कहां पर है
दिल्ली का पुराना किला भारत की राजधानी दिल्ली के मथुरा रोड नियर चिड़िया घर के पास है और यमुना नदी के किनारे हैं।
इसकी आकृति और आकार
इस किले की 18 मीटर ऊंची और 1.5 किलोमीटर लंबी दीवारें हैं और इस किले में तीन प्रवेश द्वार है जो कि पश्चिम में बड़ा दरवाजा है और इसी दरवाजे से आज तक लोगों का प्रवेश होता है दक्षिण में दूसरा दरवाजा जो हुमायू गेट है और तीसरा तलाकी गेट है।
यह दो मंजिला है जो बलुआ पत्थर से बने हुए हैं जिसमें दो विशाल अर्ध-वृत्ताकार गढ़वाली मीनार हैं इन द्वारे को सफेद संगमरमर पत्थर और नीले रंग की टाइलों से सजाया गया है सभी तीन प्रवेश द्वार विशाल दो मंजिला है जिनके दोनों ओर बालकनी झरोखा स्तंभ युक्त मंडप है। इसके अंदर की मस्जिद जिसके दो तालिया अष्टभुजी स्तंभ है।
इस किले को कब और किसने बनवाया
इतिहासकारों के अनुसार इस किले का निर्माण पहले की बस्ती इंद्रप्रस्थ स्थल जोकि महाभारत के समय पांडवों ने बसाई थी के मंदिरों और घरों को तोड़कर बनाया गया था। क्योंकि इसमें महाभारत के समय इंद्रप्रस्थ स्थल के कुछ अवशेष और मंदिर के तोड़ कर बनाए मस्जिद में मंदिर के अवशेष मिले हैं इंद्रप्रश्थ का इतिहास के लिये।
दिल्ली के पुराने किले का निर्माण 1533 ई0 मे गद्दी संभालने के बाद ही मरम्मत कार्य शुरू करवा दिया था ।लेकिन शेरशाह सूरी के साथ युद्ध में हार के बाद इसको अपने कार्यकाल के दौरान पूरी तरह शेरशाह सूरी ने अपने कार्यकाल 1540 से 1545 ई0 के बीच पूरा करवाया था।
कुछ इतिहासकारों का मानना यह भी है कि इसको महाराजा अनंगपाल विक्रमसवदं ने इसे 440ई में बनवाया और नाम रखा इंद्रपंत।
नोट: हुमायूँ ने इस पुराने किले की मरम्मत कराकर दीवारें व दरवाजे बनवाएं और अंदर की इमारते शेरशाह सूरी के समय बनी।
इस किले के शासक
इतिहासकारों के अनुसार इस किले में सबसे ज्यादा हुमायूँ और शेरशाह सूरी ने शासन किया लेकिन इस जगह पर हिमायू से पहले भी शासन किया गया है लेकिन इस बात के पक्के सबूत अभी तक मिले नहीं है।
1.हिमायू का शासन:
मुगल काल के संस्थापक बादशाह बाबर की मृत्यु के पश्चात हुमायूँ ने भारत की राज गद्दी संभाली 1533 ईस्वी में हुमायूँ ने दिनपनाह नाम के एक नगर की स्थापना की उस वक्त अकेेला इस शहर का आंतरिक गढ़ हुआ करता था हिमायू ने 1533 में ही इसके लिए की मरम्मत करवाई और इसका निर्माण पूरा हुआ था
इस किले की दीवारें और दरवाजे हुमायूँ ने बनवाए | इसी में हुमायूँ ने दक्षिण गेट का निर्माण करवाया था इसलिए उस गेट को हुमायूँ गेट का नाम भी दिया।
इसके बाद 26 जून 1539 में हुमायूँ और अफगानी शासक शेरशाह सूरी के बीच युद्ध हुआ और इसमें हुमायूँ की हार हुई और शेरशाह सूरी ने इस किले पर कब्जा कर लिया।
2. किले पर शेरशाह सूरी का शासन:
1540 में हिमायू को पराजित कर इसके लिए पर कब्जा किया और इस किले का नाम शेरगढ़ रख दिया गया सूरी ने अपने शासनकाल 1540 से 1545 ईसवी के दौरान इस किले के अंदर बहुत से चीजों का निर्माण कराया जिसमें अश्तकोनीय दो मंजिला भवन, किला-ए-कुह्म- मस्जिद(172 फुट लंबी, 56 इंच चौड़ी और 52 फुट ऊंची), अष्टभुजाकार लाल बलुआ पत्थर वाली दो मंजिला, लाट शेर मंडल प्रमुख है इसके अतिरिक्त अकबर को पालने वाली महामगां द्वारा निर्मित मस्जिद के कैरूल मंजिल और शेरगढ़ के लिए दक्षिण दरवाजे भी किले के अंदर की प्रमुख इमारतें हैं
ऐसा माना जाता है कि 1545 में शेरशाह सूरी की मृत्यु के पश्चात भी शेरशाह सूरी के बेटे इस्लाम शाह ने कुछ भाग का निर्माण करवाया।
मस्जिद के कैरूल मंजिल
3. पुनः हुमायूं का शासन:
शेरशाह सूरी की मृत्यु के पश्चात हिमायू ने दोबारा दिल्ली और आगरा पर कब्जा किया और इस किले पर 1556ईसवी तक शासन किया। शेरशाह सूरी द्वारा बनवाई गई लाल पत्थरों की इमारत अर्थात शेर मंडल में हुमायूँ ने अपना पुस्तकालय बनवाया।
इसी पुस्तकालय में पुस्तकों के बोझ को उठाते हुए जब हुमायूं सीढ़ियों से उतर रहा था तभी अजान की आवाज सुनाई पड़ी और हिमायू की आदत होती थी कई भी नमाज की आवाज सुनाई देती थी वहीं नमाज करने लगते थे और झुकते समय उसके पैर लंबे चोगेे में कई फस गए और वह संतुलन खो बैठे और गिर पड़े और उनकी इस दुर्घटनावश 1556ईसवी में मृत्यु हो गई।
4.सम्राट हेम विक्रमादित्य उर्फ हेमू
भारत का अंतिम हिदूं शासक सम्राट हेम बिक्रमादित्य उर्फ हेमू 1556 ईस्वी में अकबर की सेनाओं को दिल्ली और आगरा में प्राप्त करने के बाद अपना राजतिलक इसी पुराने किले महल में कराया था
अंग्रेजों के शासन कल में एडमिन लुटियंस ने 1920 में पुराने किले को ही राजपथ के साथ केंद्रीय रूप से गठबंधन कर दिया था
प्रकाश और ध्वनि शो
पुराने किले में प्रवेश और ध्वनि शो को 2011 में शुरू किया गया था तब से यह लगातार पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है यह लाइट एंड शो आपको दिल्ली के मुगल काल से ब्रिटिश भारत के आधुनिक काल तक दिल्ली की यात्रा के प्रस्तुत करता है इसे इस्क-ए- दिल्ली के रूप में नामांकित किया गया है जिसे देखने के बाद कोई भी दिल्ली से ऐसे प्यार करने लगेगा इसमें 11 वी शताब्दी की दिल्ली से शुरू होने वाली शो में महाभारत और इंद्रप्रस्थ को शामिल किया गया और यह आपको वर्तमान समय में वापस लाता है इस शो के कुछ हिस्से को 3डी में प्रदर्शित किया जाता है
पुराने किले के शो देखने का समय
हिंदी के शो का समयः शाम 7:30 --8:30
अंग्रेजी शो का समय: रात9:00 --10:00
शुक्रवार को शो बंद रहता है
पुराने किले के कुछ मुख्य और रोचक तथ्य
1.इस किले का निर्माण 1540 से 1545 शेरशाह सूरी द्वारा करवाया गया था
2.यह दिल्ली का सबसे पुराना किला है जो चिड़िया घर के पास हैं
3.पुराने किले के पूर्वी दीवार के पास वर्ष 1969 व 1973 के मध्य खुदाई की गई(300 वर्ष ईसापूर्व) से लेकर मौर्य काल तक के अवशेष पाए गए
4. उस दीवार की ऊंचाई लगभग 18 मीटर तथा लंबाई 1.5 किलोमीटर लंबी है
5. इस समय स्थित किला-ए-क्हना मस्जिद साल 1541 में शेरशाह द्वारा बनाया गया जिसमें घोड़े की नाल के आकार के मेहराब और पांच द्वार सम्मिलित है
6. इसमें तीन मुख्य प्रवेश द्वार है जो लाल बलुआ पत्थर से बनाए गए हैं
7. इस किले के भीतर स्थित शेर मंडल इसका सबसे महत्वपूर्ण स्मारक है जो कि 2 मंजिल ऊंचा है इसकी संरचना एक छठ कोणीय मंडप के आकार की है
8. इस किले के निकट ही एक बगीचे पेड़ और फूल पौधों की पत्तियों से घिरी एक झील है जिससे पैदल नौकायान की सुविधा उपलब्ध है यह झील पहले यमुना नदी से जुड़ती थी
9. यह किला प्राचीन मुगल वास्तुकला शैली में बनाया गया है जिसमें विभिन्न प्रकार की नक्काशी की गई है
10. पिछले दशको को मैं पुराना किला महत्वपूर्ण रंगमंच परिस्थितियों सांस्कृतिक कार्यक्रमों और संगीत कार्यक्रमों का स्थल था
11. यहां हर दिन सूर्यास्त के बाद एक साउंड एंड लाइट शो यहां प्रस्तुत किया जाता है जो दिल्ली के इतिहास के बारे में बताता है
12. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एसएसआई) द्वारा की गई खुदाई के दौरान उन्होंने पेटेंट ग्रेवेयर कल्चर (पी जी डब्ल्यू) का पता लगाया जो 1000 ईसा पूर्व यह महाभारत युग से पांडव के समय के लिए शहर के सेट को जोड़ता है।
बडा दरवाजा
हुमायू का दरवाजा
तलाकी दरवाजा
पैदल नौकायान
शेर मंडल व पुस्तकाल्य
खुदाइ
किले के अंदर का प्रवेश
खुले रहने के दिन :प्रतिदिन
प्रवेश शुल्क :₹10 भारतीय व 100 विदेशी
नजदीकी मेट्रो स्टेशन: प्रगति मैदान।
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3 टिप्पणियाँ
Good
जवाब देंहटाएंgood places and very nice
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंthanks and follow