यह कहां पर है
यह भारत की राजधानी दिल्ली की एक जगह है जो दिल्ली के दक्षिणी दिल्ली में स्थित हैं।
इस जगह को हजरत निजामुद्दीन क्यों कहते हैं
यह जगह औलिया हजरत निजामुद्दीन जो एक विख्यात, इस्लाम धर्म के, चिश्ती घराने के लोकप्रिय सूफी सतः यहां रहते थे और बाद में उनकी यहां पर दरगाह बनी जिसके कारण इस जगह का नाम हजरत निजामुद्दीन पड़ा और देश के आजाद होने के बाद इस जगह को हजरत निजामुद्दीन कहने लगे और धीरे-धीरे यह नगर के रूप में विकसित होता गया।
हजरत निजामुद्दीन कौन थे और उनका इतिहास
हजरत निजामुद्दीन एक चिश्ती घराने के एक विख्यात सूफी संत थे जो इस्लाम धर्म के प्रचारक बने। यह सभी धर्मों के लोकप्रिय सूफी संत थे इनको सभी धर्मों के लोग बहुत मान्यता देते थे इनको ईश्वर के समान मानते थे।
इनका जीवनी इतिहास
हजरत निजामुद्दीन का पूरा नाम हजरत सैयदना सैयद शाह ख्वाजा निजामुद्दीन औलिया था । इनका जन्म उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में सन 1238 ईस्वी में हुआ था। जब इनकी 5 वर्ष उम्र थी तब इनके पिता का अहमद बदायूनी की मृत्यु हो गई थी और वह अपनी माता के साथ दिल्ली आए उनकी माता का नाम बीबी जुलेखा था।
सन 1269 में जब निजामुद्दीन 20 वर्ष के थे वह अजोधर (जो कि पाकिस्तान में पाकपठ्ठन शरीफ के नाम स्थित है) मे पहुंचे और वहां पर सूफी संत फरीउददीन गज-ई-शक्कर के शिष्य बने जिन्हें बाबा फरीद के नाम से जाना जाता था।निजामुद्दीन ने वहां पर रहकर अपनी आध्यात्मिक पढ़ाई जारी रखी साथ ही साथ उन्होंने दिल्ली के सूफी अभियास जारी रखा हर वर्ष रमजान के महीने में बाबा फरीद के साथ जो अजोधन में समय बिताते थे और कुछ समय पश्चात उनको अपना उत्तराधिकारी बना लिया और जब दिल्ली लौटे तब उनके गुरु की मृत्यु होने की खबर मिली व दिल्ली आने से पहले व आसपास के कई इलाकों में रहे वह शोर-शराबे से दूर एक दिल्ली की सीमावर्ती बस्ती ग्यासपुर नगर में रहे यहीं पर उन्होंने एक "खंकाह" बनाया जहां पर सभी लोगों को खाना खिलाया जाता था चाहे वह कोई से भी धर्म के हो चाहे अमीर हो या गरीब ।
सन 1325 में उनकी दिल्ली मे मृत्यु हो गई थी और उसके बाद तुगलक वंश के प्रसिद्ध शासक मोहम्मद बिन तुगलक ने वहां पर उनका दरगाह बनाई गई। लेकिन इसकी मरम्मत 1525 में की गई तब उस समय दिल्ली का शासक हिमायू था । इस दरगाह को सफेद संगमरमर के पत्थर से बनाई गई है और इसके आसपास चारों ओर से जालीदार बनाए गए हैं जो महिलाओं के लिए है क्योकि इसके अन्दर महिलाओ का प्रवेश वर्जित किया गया।
इनके दो शिष्य थे एक शेख नसरुद्दीन चिराग दिल्ली दूसरे अमीर खुसरो।
1.अमीर खुसरो की दरगाह
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निजामुद्दीन दरगाह के सामने ही अमीर खुसरो की दरगाह है यह शास्त्रीय संगीत थे और निजामुद्दीन खास शिष्य थे इनकी दरगाह भी इनके बाद इनकी मृत्यु के पश्चात निजामुद्दीन दरगाह के ठीक सामने बनाई गई जोकि लाल पत्थर से बनाई गई।
2. नसरुद्दीन चिराग की दरगाह
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हजरत निजामुद्दीन दरगाह के नजदीक ही नसरुद्दीन चिराग की दरगाह चिराग दिल्ली है और उसके नाम का गांव बसा है नसरुद्दीन चिराग को रोशन चिराग दिल्ली भी कहा जाता है इसने बावली का पानी घडो में भरा और दीया जलाया था। इसका कारण था कि सुल्तान गयासुद्दीन तुगलक अपना किला बनवा रहे थे उसी वक्त उसने कारीगरों को कई और काम पर जाने से मना कर दिया था जिस कारण से वह रात को भी बावली बनाते थे ऐसा करने से रोकने के लिए गयासुद्दीन तुगलक ने तेल बेचने पर रोक लगा दी थी जिसके बाद नसरुद्दीन महमूद ने बावली का पानी घडो में भरा और दिया जलायाा।
इसकी दरगाह को मोहम्मद बिन तुगलक ने बनवाया था
नेहरु के समय मे चबूतरा
सन 1960 में जब एक कार्यक्रम यहां एक मिट्टी के चबूतरे पर हो रहा था जवाहरलाल नेहरू भी उस कार्यक्रम में शामिल हुए और कार्यक्रम के दौरान अचानक से बारिश आ गई और सब भी गए उसी दौरान जवाहरलाल नेहरू ने सांस्कृतिक मंत्री हिमायू कबीर को आदेश दिया कि ना एक बड़ा सा हॉल बनवाया जाए लगभग 2 साल में इस महल की बिल्डिंग बंद कर तैयार हुई।
निजामुद्दीन दरगाह के आसपास के मशहूर जगह
1. हिमायू का मकबरा
निजामुद्दीन दरगाह के पास यहां पर इसके नजदीक ही हिमायू की मृत्यु के पश्चात हिमायू का मकबरा बनाया गया जो कि दिल्ली के एक महत्वपूर्ण स्थानों में से एक हैं इसके अंदर आपको अन्य शासक के मकबरे भी देखने को मिलेंगे।
2. सुंदर नर्सरी
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अंग्रेजों के शासन काल सन् 1913 में यहां पर एक सुंदर नर्सरी बनाई गई जोकि विभिन्न वस्तु कला और विभिन्न प्रकार के फूल को यहां पर प्रदर्शित करती हैं यह प्राचीन काल के इतिहास को दर्शाता है लेकिन इसका संरक्षण जब इसको दोबारा से निर्मित २० वीं शताब्दी के शुरुआत में किया गया तब किया गया ।
3. यहां का निजामुद्दीन रेलवे
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जैसे-जसे निजामुद्दीन बस्ती बनती रही वैसे वैसे यहां के विस्तार के साथ विकास यहां होता रहा और फिर यहां पर निजामुद्दीन का रेलवे स्टेशन बनाया गया। यह नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की भीड़ को कम करने के लिए बनाया गया था|
4. दिल्ली का पुराना किला
निजामुद्दीन बस्ती के थोड़ी नजदीकी दिल्ली का पुराना किला है जो हुमायूँ और शेरशाह सूरी के द्वारा निर्मित किया गया है (दिल्ली का पुराना का इतिहास देखे दिल्ली का पुराना किला )
5. सराय काले खां
निजामुद्दीन के आसपास सराय काले खां है जोकि 1710 के बाद स्थापित हुआ और यह भी निजामुद्दीन बस्ती के साथ अस्तित्व में आया यहां पर एक अंतरराष्ट्रीय बस अड्डा भी है जो सराय काले खां बस अड्डे के नाम से विख्यात हैं
5. इन्द्र्प्रस्थ पार्क
निजामुद्दीन के पास भी थोड़ी दूर इंद्रप्रस्थ पार्क है जो महाभारत के समय कहने वाली जगह के नाम से जाना जाता है यहां पर एक जैन मंदिर है और उसके आसपास हरियाली पार्क हैं।
6. 7 Adventure park
निजामुद्दीन के पास और सराय काले खा में 7 एडवेंचर पार्क है जो विश्व के साथ विख्यात अजूबे को इस में दर्शाया गया है इसमें उनके डुप्लीकेट बनाकर दर्शाया गया है
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कुछ अन्य फोटो निजामुद्दीन के पास के
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5 टिप्पणियाँ
Khuda ke bande ki jagah. Achhi hai
जवाब देंहटाएंVery nice 👌
जवाब देंहटाएंVery nice 👌
जवाब देंहटाएंVery nice 👌
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी दी मोहित जी
जवाब देंहटाएंthanks and follow