क्या आप जानते है ? नैनिताल का इतिहास क्या है? नैनिताल पर्यटको के लिये इतना खास क्यो है? नैनिताल को क्यो उतराखण्ड के सबसे खास जगह मे चुना जाता है ? नैनिताल मे ऐसी क्या खास चीज है जो वह पर्यटको के लिये आने को मजबूर कर देती है? आइये चलिये जानते है नैनिताल के बारे मे :-
यह कहां पर है
नैनताल का अर्थ
नैनीताल का इतिहास व नाम की उत्तपत्ति
प्राचीन काल
पहली घटना
दूसरी घटना
प्राचीन काल से मध्यकाल तक
ब्रिटिश कालीन युग
पी बैरन ने उस लाके के थोकदार( जोकिं नूर सिंह था) से स्वयं बातचीत की कि वे इस सारे इलाके को उन्हें बेच दें।पहले तो थोकदार नूर सिंह तैयार हो गये थे, परन्तु बाद में उन्होंने इस क्षेत्र को बेचने से मना कर दिया। बैरन इस अंचल से इतने प्रभावित थे कि वह हर कीमत पर नैनीताल के इस सारे इलाके को अपने कब्जे में कर, एक सुन्दर नगर बसाने की योजना बना चुके थे। जब थोकदार नूरसिंह इस इलाके को बेचने से मना करने लगे तो एक दिन बैरन साहब अपनी किश्ती में बिठाकर नूरसिंह को नैनीताल के ताल में घुमाने के लिए ले गये। और बीच ताल में ले जाकर उन्होंने नूरसिंह से कहा कि तुम इस सारे क्षेत्र को बेचने के लिए जितना रू़पया चाहो, ले लो, परन्तु यदि तुमने इस क्षेत्र को बेचने से मना कर दिया तो मैं तुमको इसी ताल में डूबा दूंगा और नूर सिंह ने डूबने के भय से स्टाम्प पेपर पर दस्तखत कर दिये और बाद में बैरन की कल्पना का नगर नैनीताल बस गया। सन् 1842 ई. में सबसे पहले मजिस्ट्रेट बेटल से बैरन ने आग्रह किया था कि उन्हें किसी ठेकेदार से परिचय करा दें ताकि वे इसी वर्ष 12 बंगले नैनीताल में बनवा सकें। सन् 1842 में बैरन ने सबसे पहले पिरग्रिम नाम के कॉटेज को बनवाया था। बाद में ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने इस सारे क्षेत्र को अपने अधिकार में ले लिया। सन् 1842 ई. के बाद से ही नैनीताल एक ऐसा नगर बना कि सम्पूर्ण देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी इसकी सुन्दरता की धाक जम गयी।
टेरल का कार्यकाल 1930 तक रहा उनके बाद कर्नल गोवन को अगला आयुक्त बनाया गया, इसके बाद 1839 में लुशिंगटन अगले आयुक्त हुए। सन् 1847 में, बैटन कमिश्नर बने, और उनके बाद, 1856 में कैप्टन रामसे अगले आयुक्त हुए, जो बाद में मेजर जनरल सर हेनरी रामसे बने। सर हेनरी रामसे अठाईस वर्षों तक आयुक्त रहे।
19वीं शताब्दी से लेकर वर्तमान तक
19वीं शताब्दी से और अब तक धीरे-धीरे वहां पर विकास होता गया और नैनीताल लोगों के लिए पर्यटक जगह बन गया। आजादी के समय में उत्तर प्रदेश के सभी सचिवालय वाले नैनीताल में ही हुआ करते थे ग्रीष्मकालीन निवास के लिए गवर्नर जाया करते थे। इसके बाद वहां पर धीरे-धीरे नगर बोर्ड नगर निगम व नगर से तहसील से जिला के रूप में मान्यता प्राप्त हो गई और आज के समय में तो वहां पर उच्च न्यायालय भी है।
नैनीताल में कुछ प्रसिद्ध जगह व घूमने वाली पर्यटन स्थल
1. नैना देवी मंदिर(नायना)
नैनीताल में सबसे प्रसिद्ध जगह और जिसकी वजह से नैनीताल नाम पड़ा वह यहां पर एक प्रसिद्ध स्थान व मंदिर के लिए जाना जाता है जोकि नैना देवी मंदिर या नायना देवी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। यह शक्तिपीठों में से 1 शक्तिपीठ है जो कि पुरानी कथा के अनुसार सब भगवान शिवनाथ माता सती कि मृत शरीर को कैलाश पर्वत पर ले जा रहे थे तब यहां पर माता सती की आंखें यहां पर गिरी थी जिसके कारण यहां पर शक्ति पीठ की स्थापना की गई। यहां पर लोग काफी दूर-दूर से माता रानी के दर्शन करने आते हैं और अपनी मनोकामना मांगते हैं जिनसे इनकी मनोकामना पूर्ण भी होती हैं। हर वर्ष नवरात्रों में यहां पर मेला भी आयोजित किया जाता है। यहां नैना देवी मंदिर ताल के दूसरे छोर जो कि उत्तरी किनारे पर बना हुआ है इस मंदिर के अंदर आपको प्रवेश करते ही सीधे सबसे पहले भगवान हनुमान जी की बड़ी प्रतिमा मिलेगी और उसके बाद माता नैना देवी की मूर्ति के दर्शन होंगे।
2. नैन झील
इस झील के किनारे तो सड़क बनी हुई है जो कि एक आने वालों की और जाने वालों की है इस तालाब के दो छोर है जो कि उतरी किनारे पर "मल्लीताल" है और झीलों के दक्षिणी किनारे पर दूसरा "तल्लीताल" है। झील के उत्तरी किनारे पर एक पुल बना हुआ है और उस पुल पर एक गांधी जी की प्रतिमा बनी हुई है वहीं पर एक पोस्ट ऑफिस भी हैं यह तीनो चीज़ एक विश्व में पहली ऐसी जगह में है जहां पर तीनों चीज एक पुल पर बने हुए हैं। रात के समय में जब सारी जगह लाइट जल रही होती है तब यह अलग ही नजारा झील का होता है जो कि दूर दूर से व पहाड़ों से इसको देखने और वहां का आनंद लेने पर्यटक काफी संख्या में आते हैं।
इस झील के उत्तरी किनारे पर ही माता नैना देवी का मंदिर बना हुआ है।
3. गुरुद्वारा
4. मस्जिद
यहां पर गुरुद्वारे के सामने ही एक मस्जिद भी बनी हुई है जो कि मुस्लिम धर्म के लोग मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए आते हैं जो भी मुस्लिम पर्यटक नैनीताल घूमने आते तो वह यहां भी जाया करते हैं।
5. माल रोड
6. चर्च
नैनीताल झील के पास ही माल रोड पर एक सुंदर रूप में चर्च बना हुआ है जो कि विभिन्न ईसाई धर्म के लोग नैनीताल पर आते हैं वह साथ ही साथ वहां पर अपनी पूजा करने आते हैं और उसका सुंदर यह रूप देखने जाते हैं।
7. चिड़ियाघर(Zoo)
नैनीताल में भी माल रोड के ऊपर नैनीताल का चिड़ियाघर है जो कि "नैनीताल जू" के नाम से मशहूर है इसमें पर्यटक भी आते हैं जो नैनीताल के लिए घूमते हैं। इसमें विभिन्न प्रकार के जानवर है और काफी पर्यटक इसके अंदर घूमने आते हैं। जो का पूरा नाम गोविंद बल्लभ पंत चिड़ियाघर है।
8. इको केव गार्डन
नैनीताल में ही नैनी झील से थोड़ी ऊपर केव गार्डन है जो कि एक गुफा की तरह है जिसके अंदर टेढ़े मेढ़े रास्ते हैं। जिसके अंदर आने वाले पर्यटक काफी आनंद प्राप्त करते हैं।
8. यहां की सात चोटिया
नैनीताल मे वेसे तो कई सारी चोटिया है लेकिन इनमे मुख्यु 7 चोटिया जिसको देखने व आंदन लेने के लिये पर्यटक काफी दूर से और काफी संख्या मे सभी 12 महिने आते है। पहाड़ों की चोटिया नैनिताल की कई शोभा बढ़ाते हैं जो की पर्यटक का मन चोटियों पर जाकर वहां के पहाड़ों का आनंद लेने का करता है। नैनीताल में पहाड़ों पर सात चोटिया है:-
i) टिफिन प्वाइट
ii) चीनी पिक व नैना पीक
सात चोटियों में से एक चोटी चीनी पिक ,नैना पीक, व चाइना पीक के नाम से जानी जाती है यह तीनो पिक आसपास मे ही है । इन तीनो के पिक से यहा पर्यटक ज्यादा आते है क्योकि यह तीनो पिक से यहा अलग ही नजारा देखने को मिलता है। यह 2611 मीटर की ऊंचाई वाली पर्वत चोटी है यह नैनीताल से लगभग 5:30 किलोमीटर दूर पर है और यहां पर एक और बर्फ से ढका हिमालय दिखाई देता तो दूसरी तरफ नैनीताल नगर का पूरे भव्य दृश्य दिखाई देता है इस चोटी पर चार कमरे का लकड़ी का एक केबिन जिसमें रेस्टोरेंट्स भी है
iii) किलवरी
यह जमीन से 2527 मीटर की ऊंचाई पर ऊंचा पर्वत है जिसको किलबरी पॉइंट कहते हैं। यहां से भी हिमालय के दर्शन होते हैं और यह वन विभाग विश्राम स्थल भी है यहां पर लोग रात्रि में निवास भी करते हैं। इसका आरक्षण d.f.o. नैनीताल के द्वारा किया जाता है।
iv) लकड़ीया कांटा
यह 2471 मीटर की ऊंचाई की पर्वत चोटी है जोकि नैनीताल से लगभग 15.2 किलोमीटर दूर पहाड़ों पर स्थित है यहां से नैनीताल की झांकी काफी सुंदरता दिखाई देती है इस छोटे से थोड़ी दूर पहले ही हेलीपैड ग्राउंड भी है जिससे आप हेलीकॉप्टर से नैनीताल का आनंद ले सकते हैं। और यहां पर हनुमान मंदिर भी है
v) कैमल्स बैक व देवपाटा
यह दोनों चोटिया साथ-साथ है जिनकी ऊंचाई 2435 मीटर और 2333 मीटर ऊंची है। चोटियों पर भी नैनीताल और उसके आसपास का क्षेत्र काफी सुंदर दिखाई देता है।
vi) स्नोव्यू और हनी बनी
यह चोटी नैनीताल से ढाई किलोमीटर दूर और 2270 मीटर की ऊंचाई पर हवाई पर्वत चोटी है यह चोटी "शेर का डाण्डा" वाले पहाड़ पर है। इस चोटी से हिमालय की सुंदर दृश्य दिखाई देता है किससे लगी हुई दूसरी चोटी हनी -बनी है जिसकी उचाई 2171 मीटर है यहां से भी हिमालय का दृश्य बहुत ही अच्छा दिखाई देता है।
vii) लवर्स प्वाईंट नंदा देवी बर्ड
यह नैनीताल से 7.5 किलोमीटर दूर और पहाड़ों की ऊंचाई पर है यहां से भी हिमालय के दर्शन का बड़ा सुंदर रूप दिखाई देता है और यहां पर वेली भी दिखाई देती है।
7. हनुमानगढ़ी
8.भीमताल
9. नौकुचियाताल
नैनीताल से 26 किलोमीटर दूर नौकुचियाताल पड़ता है इससे नो कोने वाले ताल कहा जाता है और यह भी माना जाता है कि जो इसको एक बार में कोई व्यक्ति देख लेते हैं तो उसकी मृत्यु हो जाती है।
10. सातताल
नैनीताल से 21 किलोमीटर की दूरी पर सातताल है जो कि 7 झिलों से मिलकर बना है। यहां की सुंदरता भी नैनीताल की तरह है। यहां पर भीमताल के मार्ग द्वारा ही आया जाता है।
11. नीम करौली आश्रम
12. पायलट बाबा मंदिर
नैनीताल से 7.5 किलोमीटर दूर "पायलट बाबा धाम का मंदिर" है। इस मंदिर की नक्काशी काफी अच्छी तरीके से व सुंदर तरीके से की गई है यहां पर एक बार आने वाले पर्यटक बार-बार आने को मन करेगा इस तरह की यहां की नक्काशी की गई है।
13. राष्टीय जिम कार्बोनेट पार्क
यह भारत और उत्तराखंड का प्रसिद्ध चिड़ियाघर के रूप में जाना जाता है इस जिम कार्बोनेट में कई तरह के जानवर "पशु-पक्षी" मिलते हैं। इस क्षेत्र में सांप के कई प्रकार आपको दिखाई देंगे। यह काफी बड़े क्षेत्रफल में फैला हुआ है। जिम कार्बोनेट को देखने के लिए काफी संख्या में पर्यटक दिल्ली में कई दूर-दूर स्थानों से आते हैं। इसमें पर्यटकों को घुमाने के लिए कई एजेंसी काम करती है। कुमाऊँ विकास निगम की बसें दिल्ली से जिम कार्बोनेट के लिए काफी पर्यटक को को यहां के घुमाने के लिए लाते हैं।
14. हनुमान धाम मन्दिर
जिम कार्बोनेट से 8 किलोमीटर दूर श्री हनुमान धाम मंदिर है जो कि अपने आप में एक अनोखे रूप में बनाया गया है। इसकी कलाकृति काफी अच्छे ढंग से की गई है यह 1 मंजिला इमारत का है और काफी बड़े ऊंचे वर्गाकार मंच पर बनाया गया है। लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है।
नैनीताल के जनसंख्या व क्षेत्रफल के बारे में
नैनीताल उत्तराखंड के जिले के रूप में भी जाना जाता है जोकि कुमायूं डिवीजन के अंतर्गत आता है। इसके जनसंख्या 2011 के अनुसार 9,54,605 जो कि जिले के रूप में चौथा स्थान है। यहाँ का कुल क्षेत्रफल 3860 किलोमीटर है। यहां की अधिकारिक भाषा हिंदी और कुमाऊंन है। नैनीताल शहर का कुल क्षेत्रफल 13.73 kmsq है और वहां की कुल जनसंख्या 2011 के अनुसार 41,377 है।
यहाँ के लिए यातायात साधन
यहां के लिए आप कार, बस, रेलगाड़ी, व हवाई जहाज से आप यहां आ सकते हैं और आप टैक्सी द्वारा भी आ सकते हैं।
i) यहाँ का लिए बस स्टैंड नैनीताल का ही है। जो कि दिल्ली, आगरा, देहरादून हल्द्वानी, हरिद्वार,, आदि विभिन्न शहरों से यहां के लिए बस आती है
ii )यहाँ का नियर रेलवे स्टेशन काठगोदाम हल्द्वानी है जो कि सभी प्रमुख शहरों को जोड़ते हैं
iii) यहां पर आप अपने साधन से सड़क के माध्यम से आ सकते हैं जो कि राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़े हुए हैं यहां का राष्ट्रीय राजमार्ग 109 हैं
iiv) यहां का हवाई अड्डा पंतनगर विमान क्षेत्र है जो कि नैनीताल से 71 किलोमीटर दूर है।
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