क्या आप जानते है? सफदरजंंग मकबरे का इतिहास क्या है? क्या आपको पता है ? इस मकबरे क नाम सफदरजंग क्यो पडा? इस मकबरे के नामे से ही सफदरजंंग नगर बसाया गया! क्या आपको पता है? सफदरजंग कौन था? जिसके नाम पर इस मकबरे का नाम और नगर बसाया गया?किसने इस मकबरे का निर्माण करवाया? इस मकबरे की क्या खासियत है? तो चलिये जानते है इन सभी सवालो के जवाब:-
यह कहांं पर है
यह भारत की राजधानी दिल्ली के दक्षिणी जिले के अरविंदो मार्ग पर पड़ता हैl
सफदरजंग का इतिहास
इस मकबरे का इतिहास काफी रोचक है इस मकबरे को भारत में मुगलों का अंतिम स्मारक मकबरा माना जाता है इस मकबरे का निर्माण मुगल शासन के अंतिम मुगल सम्राट बादशाह मोहम्मद शाह (1719-1748) के प्रधानमंत्री के लिए किया गया था जिसका नाम सफदरजंग था। यह मकबरा एक कुशल और शक्तिशाली सेना अधिकारी व प्रधानमंत्री का प्रतिक है।
सफदरजंंग कौन था ?
मुगलकाल के अन्तिम शासक मुहम्मद शाह के कार्यकाल (1719-1748)मे मोहम्मद शाह का प्रधानमंत्री था जो कि काफि कुशल व शक्तिशाली के रुप मे गिनती की जाती थी। इसका पूरा नाम अब्दुल मसूंर मुकीम अली खान मिर्जा था जो कि बाद मे सबसे कुशल प्रशासनिक रुप मे गिनती की जाने के बाद मुगल बादशाह ने इन्हे सफदरजंग की उपाधि दी। इसको अवध का दूसरा नवाब भी कहां जाता था। इनकी मुर्त्यु उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर मे 1754 मे हुई थी।
सफदरजंग मकबरे का निर्माण
सफदरजंग की मुर्त्यु के पश्चात और अपने पिता की याद में इनके पुत्र शुजादुल्लाह ने सन 1754 मे सफदरजंंग का मकबरा बनवाना शुरु किया था जो कि काफि वर्षो मे जाकर बना था। इस मकबरे का निर्माण एक पुत्र ने अपने पिता की याद मे बिल्कुल हुमायुं के मकबरे के समान और अन्तिम मुगल कालिन वस्तु स्थापत्य कला का निर्मांण करवाया ।
यह मुगलो का अन्तिम मकबरे के रुप मे भी गिना जाता है
मकबरे के बारे में
यह मकबरा दिल्ली के खास मकबरा में से एक है। इस मकबरे का सौंद्रर्य रूप अपने आप में एक अलग ही रूप में है। इस मकबरे का रंग रूप व आकार बिल्कुल हुमायूं के मकबरे के समान हैं क्योंकि इस मकबरे का निर्माण हुमांयू के मकबरे के तर्ज पर ही किया गया है। इस मकबरे में मुख्य द्वार, मुख्य मकबरा, मोती महल, जंगली महल, मस्जिद, बादशाह पसंद, जल नहरे, चारबाग और पैदल पथ है जो कि अपने आप में एक सौंद्रर्य रूप में निर्माण किया गया है।
1. मकबरे का मुख्य प्रवेश द्वार
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प्रवेश द्वार( मेहराबदार मे ) |
सफदरजंग मकबरे के चार दिवारी मे मकबरे के दोमजिंला प्रवेश द्वार है इस प्रवेश द्वार में 2 मंजिला इमारत के साथ कई कलाकृति व डिजाइन द्वार गेट और छतों पर किया गया है इसमें दो मंजिला के बाद एक तीन खानों वाला(मेहराबदार मे) एक छोटा सा कमरा भी बनाया गया है। इस प्रवेश द्वार मे 2-2 मेहराबदार खिडकी बनाई गई है। इसक निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है। इसमें मध्य मेहराबदार में प्रवेश करने के पश्चात एक गुंबद से सुसज्जित कक्षनुमा में प्रवेश करेंगे, जिसके दोनों ओर प्रथम व द्वितीय तल पर लघु कक्ष बने हुए हैं। मध्य मेहराबदार अग्रभाग को विभिन्न रंगों के चित्र से सजाया गया है। इसके साक्ष्य मुख्य प्रवेश द्वार में आज भी देखे जा सकते हैं।
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प्रवेश द्वार मे फूल के आकार मे दिजाईन
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प्रवेश द्वार मे प्रवेश करने के पश्चात आप छ्त पर देखोगे की यहां पर फूल के आकार मे कलाकृति की गई है और मुगलकालीन की वस्तु कलाकृति से सजाया गया है।
2. इस मकबरे की मस्जिद
इस मकबरे के प्रवेश द्वार के बराबर में ही एक गोल गुंबदनुमा आकार में मस्जिद बनी हुई है और इसके दोनों हिस्से में दो गोल आकार में बांस के जैसे खंभे बने हुए हैं।इसका मुख्य प्रवेश द्वार मेहराबदार आकृति में बनाया गया है इस मस्जिद का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है सड़क कुछ सफेद पत्थर का प्रयोग भी किया गया है।
3. पैदल पथ , जल नहरे व चारबाग
इस मकबरे में प्रवेश करने के बाद आपको मकबरे के चारों ओर जल नहरे व जल नहरे के दोनों तरफ पैदल पथ मार्ग बना हुआ मिलेगा, जिसे आने जाने के लिए बनाया गया है। इस जल नहरे के साथ-साथ और मकबरे के चारों ओर आपको हरे-भरे घासो से व पेड़ पौधों से चारबाग मिलेगा, जो कि मकबरे की शोभा बढ़ाता है। इस चारबाग व जल नेहरे से इस मकबरे की शोभा बढ़ने के साथ ही यहां पर आने वाले प्रत्येक पर्यटक को यहां पर एक अच्छा हरा-भरा शुद्ध वातावरण मिलता है और पर्यटको के यहां पर आने की उत्साहित को बढ़ाता है।
4. दो मंजिला सफदरजंग का मकबरा
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16कक्ष वाले वर्गाकार चबूतरे पर दोमंजिला मकबरा |
इस मकबरे में प्रवेश करने के बाद आपको चार बाग शैली पर आधारित है जिसमे जल नहरे को 4 बराबर चोकोर भागो में बटा हुआ है और यह प्रत्येक भाग पुन: चार छोटे चौकोर बराबर भागों मेंं पथ मार्गो द्वारा विभाजित है। इसके बाद सफदरजंग का मकबरा मिलेगा जो मुगलकालीन कलाकृतियो द्वारा निर्माण किया गया है।
यह दो मंजिला मकबरा एक वर्गाकार मंच 18.29x18.29 वर्ग मीटर के ऊंचे चबूतरे पर लाल एवं भूरे-पीले बलुए पत्थर से निर्मित है जिसमें संगमरमर की पटिया द्वारा अलंकरण किया गया है और यह दो मंजिलें के रूप में चारमीनारो से निर्मित होकर मेहराबदार प्रवेशद्वार आकृति के रूप में इस मकबरे का निर्माण किया। चबूतरे के नीचे चारों दिशा के रूप में अनेक छोटे-छोटे कक्ष बने हुए हैं । संरचना का केंद्रीय कक्ष चारों ओर से 8 कक्षाओं से घिरा हुआ है।
इस मकबरे मे पूर्व व पश्चिम दिशा से मकबरे में प्रवेश करने के लिए दो द्वार है और दक्षिण व उत्तर दिशा से प्रवेश करने के लिए एक प्रवेश द्वार हैं।
इस मकबरे के चारों कोनों में बहुभुजी मीनारें बनी हुई है एवं केंद्र में अपनी गोलाकार रूपरेखासहित एक बड़ी गुंबद, 16 किनारे वाले ढोल से ऊपर उठती हुए निर्मित है। स्मारक में प्रयुक्त लाल बलुआ पत्थर एवं संगमरमर को अब्दुल रहीम खान-ए-खजाना के मकबरे से निकाला गया था।
इस मकबरे मे छ्तो पर फूल के आकार मे मुगल कालीन कलाकृतिया की गई है यह सफेद सगंमरमर के पत्थरो के प्रयोग करके किया है। इस मकबरे के अंदर और कक्ष मे ऐसे ही आकार मे फूल के आकार मे मुगल कालीन कलाकृतिया की गई है।
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सफदरजंग और उनकी पत्नी की कब्र (छाया प्रति कोपी)
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इस मकबरे में मेहराबदार गेट मे प्रवेश के करने के बाद
सफदरजंंग और उनकी
पत्नी की कब्र मिलेगी। लेकिन यह कब्र उनकी असली कब्र की प्रतिलिपि मिलेगी और इनकी असली कब्र निचे है। इस कब्र के चारो ओर आमने सामने गेट है जो आमने सामने के बाहर का दृश्य दिखाई देगा।
मकबरे की मीनारे
इस मकबरे के चारो कोनो पर चार मीनारे बनाई गई है जो आज के मस्जिद के मीनारे मे होती है। इन मीनारे को लाल बलुआ पत्थर से किया गया है। इन मीनारो का भी निर्माण मुगलकालीन कलाकृतियो से किया गया है।
5. मोती महल व जंगली महल
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जंंगली महल |
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मोती महल |
इस मकबरे मे ही पश्चिम दिशा मे जंंगली महल है जो कि आयत आकार मे है और जिसमे कई छोटे छोटे कक्ष व कक्ष मेहराबदार मे बनाया गया है। इसका निर्माण काले व लाल पत्थरो से किया गया और सफेदी की गई है।सफदरजंंग के समय मे इसको के जंंगल महल के नामो से पुकारा जाता और अब केवल यह नाम के लिये है। इनके अंदर किसी भी पर्यटको प्रवेश की अनुमति नही दी जाती है।
और मकबरे के उत्तर दिशा मे आपको मोती महल दिखाई देगा जो मेहराबदार और आयत के आकार मे है। महल मे अपको कई कक्ष मिलेंगे जिसको मेहराबदार की अकृति मे बनाया गया है। इनका निर्माण काले व लाल पत्थरो से किया गया और सफेदी की गई है।सफदरजंंग के समय मे इसको मोती महल के नामो से पुकारा जाता और अब केवल यह नाम के लिये है। इनके अंदर किसी भी पर्यटको प्रवेश की अनुमति नही दी जाती है।
इन महलो से और मकबरे के बीच मे पैदल पथ और जल नहरे है और चार भाग से सुसज्जित है।
6. बादशाह पसंंद
इस मकबरे के दक्षिणी हिस्से में बादशाह पसंद है जो कि दो तीन कक्षाओं का मेहराबदार है जोकि मकबरे की चार दिवारी से लगे हुए बहुकक्ष से मंडप है। सफदरजंग के समय में इसको बादशाह पसंद के नाम से बोला जाता था जिसके कारण इसको आज भी बादशाह पसंद नाम दिया गया।
7. सफदरजंंग नगर व अस्पताल
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सफदरजंग अस्पताल |
इस मकबरे के थोडी ही दूर पर सफदरजंग नाम से नगर बसाया गया है और आसपास मे ही नगर को देखकर सफदरजंंग अस्पताल बनाया गया है जो काफी दूर दूर से अपना ईलाज करवाने के लिये आते है। इस अस्पताल की स्थापना सन् 1939 मे की गई।
8. सफदरजंग हवाई अडडा
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सफदरजंग हवाई अड्डा |
इस मकबरे के थोडी ही दूर पर अरविंदो मार्ग पर ही सफदरजंग के नाम से हवाई अड्डा है, जिसकी स्थापना ब्रिटिश काल के समय में हुई थी।इस एयरपोर्ट को पहले "विलिंगडन एयरफील्ड" के नाम से हुआ करता था जो कि भारत के तत्कालीन वायसराय थे तक गवर्नर जनरल लॉर्ड विलिंगडन के नाम से रखा गया था। भारत के स्वतंत्रता होने के बाद इसको सफदरजंग का नाम दिया गया। इसका प्रयोग पहले ब्रिटिश काल के समय में ही आम नागरिक के लिए प्रयोग किया जाता था। लेकिन अब यह दिल्ली फ्लाइंग क्लब के रूप में और आपातकाल व वीआईपी और राष्ट्रपति लोगों के लिए प्रयोग किया जाता है जो कि यहां से हेलीकॉप्टर उड़ान के लिए अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे तक कर दिया गया है। इसका प्रयोग दूसरे विश्व युद्ध और भारत-पाकिस्तान युद्ध के लिए भी किया गया था।
:- इस तरह से मंडप और मकबरे में चारबाग व जल नहरों से सुसज्जित यह मकबरा मुगलकालीन काल के अंतिम समय मे मुगल वास्तुकला से निर्मित मकबरा बनाया गया मकबरा है। इस स्मारक को दिल्ली में मुगल वास्तुकला के दीपक की अंतिम "लौ" भी कहा गया है। और यह ऐसा मकबरा है जो कि एक पिता की स्मृति में बनवाया गया है। यह मकबरा बिल्कुल हुमायूं मकबरे के समान की जल नेहरे और चारबाग शैली से निर्मित होकर बनाया गया है।
प्रवेश शुल्क
इस मकबरे में भारतीय और विदेशी पर्यटकों के लिए अलग-अलग प्रवेश शुल्क हैं
भारतीय पर्यटकों के लिए ₹15 है
विदेशी पर्यटकों के लिए ₹200 है
वीडियो कैमरे के लिए ₹25 है
खुलने का समय
यह सब सफदरजंग का मकबरा सभी सातों दिन सुबह 7:00 से शाम 6:00 बजे तक खुला रहता है।
यहां आने के लिए यात्रा के साधन
दोस्तों आप यहां पर ऑटो टैक्सी रेल हवाई जहाज मार्ग के माध्यम से आ जा सकते हैं:-
1. यहां का हवाई जहाज के द्वारा भी आ जा सकते हैं जो कि दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है।
2. यहां पर आप रेलवे के माध्यम से भी आ सकते हैं जो कि यहां का नियर रेलवे स्टेशन दिल्ली रेलवे जंक्शन पुरानी दिल्ली में नई दिल्ली और हजरत निजामुद्दीन है
3. आप यहां पर ऑटो टैक्सी या बस द्वारा भी आ जा सकते हैं जोकि अरबिंदो मार्ग पर यह मकबरा पड़ता है।
इसका संंरक्षण
दिल्ली के सफदरजंग का मकबरे का संंरक्षण भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण द्वारा किया जा रहा है
यहां के नजदीकी अन्य ऐतिहासिक मकबरे व किले और अन्य स्थान
अतः दोस्तों में आशा करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपको मेरे द्वारा दी गई है जानकारी समझ आ गई होगी। अगर मेरे द्वारा यह ऐतिहासिक स्थल की जानकारी अच्छी लगी हो तो इसको अपने दोस्तों में जरूर शेयर करें।
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