राजस्थान के किशनगढ का इतिहास(History of Kishangarh of Rajasthan)

क्या आप जानते हो? राजस्थान के किशनगढ़ का इतिहास क्या है? इस किशनगढ़ की स्थापना कब, किसने और कैसे करवायी?यह किशनगढ़ राजस्थान के किस जिले में पडता है? इस जगह पर किस किस शासक ने शासन किया है?इस किशनगढ़ को वर्तमान में  किस नाम से जाता है? तो चलिए जानते हैं राजस्थान के किशनगढ़ का इतिहास और यहांं पर घूमने के लिये पर्यटल स्थल के बारे:-



यह कहा पर है

यह किशनगढ़  भारत के राज्य राजस्थान का जिला अजमेर का तहसील व एक नगर है किशनगढ़ जो कि अजमेर के अंतर्गत आता है। यह दिल्ली से 364 किलोमीटर दूर स्थित है। यह जयपुर से 112 किलोमीटर दूर और अजमेर से 30 किलोमीटर दूर स्थित है। यह  भारतीय राजमार्ग 8  पर स्थित है जोकि दिल्ली अजमेर राष्ट्रीय राजमार्ग पर है।

किशनगढ़ की जनसंख्या व क्षेत्रफल

राजस्थान के किशनगढ़ का क्षेत्रफल 895.8kmsq है। यहां की जनसंख्या 2011 के अनुसार 154776 की औसत में हैं।


किशनगढ़ का इतिहास

आज हम जिस किशनगढ़ के इतिहास के बारे में बता रहे हैं वह राजस्थान का जिला अजमेर का एक नगर और एक तहसील है है जिसको हम मदनपुर-किशनगढ़ के नाम से जानते हैं। यह क्षेत्र  अब भी अपने आप में मसहूर पर्यटल  स्थल के रूप में जाना जाता है क्योकि इसका  इतिहास मध्यकाल ( 17 वीं शताब्दी ) से  लेकर अब तक का है।


किशनगढ़ की स्थापना कब व किसने करवाई

इसकी स्थापना   जोधपुर के राजा उदय सिंह के आठवे पुत्र राजा किशन सिहं ने अजमेर से 30 (16 मील) किलोमीटर दूर पहाडियोंं  के बीच सन् 1609 में  अपने नाम से किशनगढ‌  बसाया था। राज किशन सिंंह जी का जन्म सन् 1580  मेंं जोधपुर मेंं हुआ था। यह बादशाह मनसबदार थे। राजा किशन सिंह ने सेठालाव के शासक रावदूदा को पराजित कर अपनी स्वतंत्र जागीर (किशनगढ़) की स्थापना की, जिसके कारण इनको मुगल शासक जहांगीर( अकबर के पुत्र)  ने  बादशाह व महाराजा की उपाधि दी।  राजा किशन सिंंह के द्वारा किशनग़ढ़ की स्थापना के बाद सन् 1612 मेंं इसको राजधानी बनाया। सन्1615 में राज किशनसिंह , गोविदंदास भाटी के साथ युध्द करते हुए वीरगती को प्राप्त हो गये।  

किशनगढ़ के शासक स्थापना से लेकर वर्तमान तक

किशनगढ़ में कई शासकों ने स्थापना से लेकर देश के आजाद होने तक इस जगह पर शासन किया और आज भी कहा जाता है कि यहां पर ऊंची चोटी पर यहां का शासक के  वंश रहते है:-

राजा किशन सिंह

उदयपुर के शासक मोटा राजा उदयसिंह के 8 पुत्रों में से एक पुत्र राजा किशन सिंह ने 1609 में इसकी स्थापना करके यहां पर कुछ वर्ष शासन किया। इसी वर्ष  इन्होंन  राठौड़ वंश की स्थापना की। कुछ वर्षों में ही राजा किशन सिंह की जोधपुर के महाराजा सूरसिंह के पुत्र गजसिंह के द्वारा गोविंदास भाटी  ने उनके साथ युद्ध करके उनकी हत्या कर दी गई।

राजा सहसमल 

राजा किशन सिंह की मृत्यु के पश्चात सहसमल यहां का शासक बना और 2 वर्ष तक यहां पर शासन किया।

राजा जगमाल

सहसमल के शासन के पश्चात किशनगढ़ का राजा जगमाल बना। इन्होंने यहां पर 11 वर्ष शासन किया।

राजा हरि सिंह

जगमाल के शासन के पश्चात यहां पर राजा हरि सिंह ने 16 वर्ष शासन किया। राजा हरि सिंह के कोई भी संतान नहीं थी जो कि यहां का उत्तराधिकारी बन सके।

राजा रूप सिंह

राजा हरि सिंह के कोई भी संतान ना होने के कारण यहां पर राजा हरि सिंह के भाई भारमल के पुत्र राजा रूप सिंह को गद्दी सौंपी गई और सनं 1628 में  यहां का राजा बनाया गया। राजा रूप सिंह ने 1643 में अपने नाम से रूपनगढ़ दुर्ग  का निर्माण करवाया और अपनी राजधानी बनाई। इसलिए राजा रूप सिंह को रुपनगढ़ का संस्थापक माना जाता है। यह  किशनगढ़ से 25 किलोमीटर दूर स्थित है और यहां पर रूपनगढ़ किला भी है।

इन्होंने शाहजहाँ  की ओर से कई युद्धों में भाग लिया था।इन्होंनें पठानों को युद्ध में हराकर इनका काले, लाल और सफेद रंग का झंडा छीन लिया और इसे अपने किशनगढ़ राज्य का झंडा बनाया आज भी यही झंडा किशनगढ़ का माना जाता है। जब शाहजहां की तबीयत ठीक नहीं थी उस समय उनके शहजादो  में  आपस में युद्ध हुए जिसमें शाहजहाँ के कहने पर राजा रूप सिंह ने दारा शिकोह की तरफ से शामूगढ़ (धौलपुर ) के युद्ध सन् 1658  में भाग लिया।इस युद्ध में औरंगजेब से  हार हुई और युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो गए ।


राजा मानसिंह

जब राजा रूप सिंह का औरंगजेब से युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए तब राजा मानसिंह किशनगढ़ का शासक बना और यह बहुत कम उम्र के थे, जब इनको राज गद्दी पर बैठाया गया। इन्होंने अपनी युवा आयु में ही इस जगह पर शासन किया। कुछ वर्ष पश्चात इनकी बहन और राजा रूप सिंह की पुत्री चंचल कुमारी(चारूमति) का विवाह औरंगजेब से करने का प्रस्ताव रखा गया लेकिन जैसे यह बात चंचल कुमारी को पता चली तो उन्होंने उदयपुर के राजा राज सिंह को पत्र लिखकर भेजा, जिसमे उन्होने मुगल  सेना से अपने सेनापति (सामंत सलूमभंर)के द्वारा युद्ध करके चारुमति को भगाकर चारुमति से  से विवाह कर लिया। इस युद्ध  में राजा मानसिंह की भी मृत्यु हो गई।


राजा राज सिंह

राजा मानसिंह के बाद किशनगढ़ का राजा राज सिंह को बनाया गया  हुआ।  इनको राज सिंह राठौड़ भी कहा जाता है। इन्होंने अपने समय किशनगढ़ राज्य की सीमा का विस्तार किया। इनको महान कवियों में गिना जाता है क्योंकि यह उच्च कोटि के कला साहित्यकार में रुचि थी। 1748 में उनका स्वर्गवास हो गया इनकी मृत्यु के समय इनका पुत्र कुंवर सावंत सिंह बादशाह के पास दिल्ली में थे।

राजा सावंत सिंह

इनका जन्म 1699 में हुआ। राजा राज सिंह के मृत्यु हुई उनके बाद 1748 में इनको किशनगढ़ का राजा बनाया गया। इनका राज सिहासन दिल्ली में ही संपन्न हुआ क्योंकि यह उस समय दिल्ली में बादशाह के पास थे। इनकी माता का नाम महारानी बांकवती था। राजा सावंत सिंह का विवाह भानगढ़ नरेश की पुत्री लाल कुवॅरी से हुआ। यह  कृष्ण के बड़े भक्त थे और कृष्ण भक्ति में डूबे रहते थे। उन्होंने अपने कार्यकाल में किशनगढ़ को एक चित्र शैली के विकास के रूप में विकसित किया जिसके कारण किशनगढ़ को स्वर्ण काल कहा जाता है। जब यह दिल्ली गए हुए थे तब उनके पीछे उनके छोटे भाई बहादुर सिंह ने रुपनगढ़ पर आक्रमण करके कब्जा कर लिया जिसके कारण यह दुखी होकर राजपाट त्यागकर वृंदावन चले गए जहां पर यह भक्ति भाव में हो कर रहे और उनके साथ इनकी सहयोगी भी रहे जिनका नाम बनी ठनी था। कुछ वर्षों के बाद इनके पुत्र सरदार सिंह और छोटे भाई बहादुर सिंह  के बीच समझौता हो गया जिसके अनुसार रूपनगढ़ को सावंत सिंह को और किशनगढ़ को बहादुर सिंह को मिला।

कुछ वर्षों के पश्चात राजा सरदार सिंह निसंतान उनका स्वर्गवास हो गया और इनकी मृत्यु के बाद यह दोनों राज्य एक हो गए।

महाराजा बिड़द सिंह

राजा बहादुर सिंह के निधन के बाद बिड़द सिंह को किशनगढ़ का राजा बनाया गया।इन्होंने रुपनगढ़ और किशनगढ़ दोनों राज्य को एक किया।

राजा प्रताप सिंह

राजा बिड़द सिंह के बाद उनके पुत्र राजा प्रताप सिंह किशनगढ़ के राजा बनाए गए। इन्होने किशनगढ़ पर कुछ वर्षो तक शासन किया।

राजा कल्याण सिंह

राजा प्रताप सिंह के बाद उनके पुत्र राजा कल्याण सिंह किशनगढ़ के राजा बनाए गए और इन्होंने अंग्रेजों के साथ 1817 में सहायक संधि संपन्न थी ।जब अंग्रेजों ने किशनगढ़ से खिराज लेना स्वीकार नहीं किया तो उन्होंने अपने पुत्र मोखम सिंह को राजकार्य सौपकर  स्वयं मुगल बादशाह की सेवा में दिल्ली चलेंगे।

राजा मोखम सिंह

उन्होंने किशनगढ़ राज्य पर कुछ वर्षों तक शासन किया जिसके बाद उन्होंने अपने पुत्र राजा पृथ्वी सिंह को राज्य सौपकर इनका स्वर्गवास हो गया

राजा पृथ्वी सिंह

राजा मोखम सिंह के बाद किशनगढ़ का राजा पृथ्वी सिंह को बनाया गया। यह 1857 के विद्रोह के समय यहां के शासक थे। इन्होंने किशनगढ़ का पहला दीवान अभय सिंह को बनाया था इन्होंने सन् 1870 में फूल महल पैलेस का निर्माण करवाया था।

राजा शार्दूल सिंह

महाराजा पृथ्वी सिंह के बाद उनके पुत्र शार्दुल सिंह किशनगढ़ के शासक बने और किशनगढ़ में कई विकास कार्य किए जिसमें से उन्होंने अपने पुत्र के नाम पर मदनगंज मंडी की स्थापना की।

राजा मदन सिंह

महाराजा शार्दूल सिंह के बाद किशनगढ़ के शासक राजा मदन सिंह को बनाया गया और उन्होंने भी अपने पिता की तरह यहां पर कई विकास कार्य किए इन्होंने यहां पर फांसी की सजा को समाप्त किया और अपने नाम से यहां पर एक नगर बसाया जिसका नाम मदनगंज रखा गया बाद में इनकी मृत्यु के बाद किशनगढ़ को मदनगंज किशनगंज के नाम से जाना जाने लगा। इनको पोलो का बड़ा शौक था। और इनको साइकिल पोलो का पिता कहा जाता है।

यज्ञ नारायण सिंह

मदन सिंह के कोई पुत्र ना होने के कारण कोकसा के महाराजा जवानी सिंह के पुत्र जगनारायण सिंह को किशनगढ़ का राजा बनाया गया और कहा जाता है कि यह बड़े योग्य और धर्म प्रेमी शासक थे। इनके जीवन काल के दौरान ही उनके पुत्र का निधन हो गया था।

सुमेरा सिंह राठौड़

यज नारायण सिंह के राजकुमार के निधन होने के कारण जोरावरपुरा के जागीरदार ठाकुर  बुद्धि सिंह राठौर के पुत्र सुमेरा सिंह राठौर को किशनगढ़ का शासक बनाया गया। जोकि  1939 में बनाया गया। इनको आधुनिक साइकिल पोलो का पिता कहा जाता है। यह सहृदय  और प्रिय राजा माने जाते थे।

वर्तमान में ऐसा कहा जाता है कि इनके पुत्र ब्रजराज सिंह व इनके वारिस  किशनगढ़ के वर्तमान राजा है।



किशनगढ़ को वर्तमान में मदनगंज-किशनगढ़ भी कहते हैं और इसको किशनगढ़ भी बोला जाता है।


किशनगढ़ के प्रसिद्ध  पर्यटन स्थल

किशनगढ़ एक ऐतिहासिक क्षेत्र होने के साथ ही यहां पर कई ऐसे स्थल भी है जो प्रसिद्ध और पर्यटन स्थल है। जिसको देखना और यहां का आनंद लेने के लिए पर्यटक दूर-दूर से आते हैं। यहाँ के पर्यटन स्थल है।

1. श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर

श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर

किशनगढ़ में वैसे तो कई सारे मंदिर है लेकिन कुछ प्रसिद्ध मंदिर है जिसमें एक श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर है। यह मंदिर किशनगढ़ का सबसे  पुराना मंदिर है और इसका निर्माण लाल पत्थरों से मिलकर किया गया है। इस मंदिर में भगवान श्री राम की प्रतिमा स्थापित है और इसके सामने ही महादेव का शिवलिंग स्थापित हैं यह दोनों आमने सामने स्थापित की गई है। इस मंदिर में सोमवार और मंगलवार के दिन काफी संख्या में पूजा करने के लिए आते हैं और दशहरा ,दिवाली महाशिवरात्रि आदि त्योहारों  के दिन काफी भीड़ के साथ पूजा होती है इस मंदिर के अंदर एक छोटा सा पार्क भी बना हुआ है जो कि काफी हरा भरा है। यह मंदिर किशनगढ़ के मैन रोड पर स्थित है।

भगवान महादेव का शिवलिंग और भगवान राम और माता सीता की प्रतिमा आमने सामने 

इस मंदिर का इस प्रकार निर्माण किया गया है कि भगवान श्री राम व माता सीता की प्रतिमा के ठीक सामने ही भगवान महादेव और पार्वती की मूर्ति और शिवलिंग का निर्माण किया गया है और यह दोनों आमने सामने एक दूसरे की ओर स्थापित की गई है यह मंदिर एक दूसरे की ओर बने हुए हैं.

2. मंशापूर्ण महादेव मंदिर

मंशापूर्ण महादेव मंदिर
महादेव मंदिर


यह किशनगढ़ में महादेव का सबसे बड़ा व प्रसिद्ध मंदिर है जो कि किशनगढ़ के अंदर पहाड़ों पर बनाया गया है। इस मंदिर में महादेव की सबसे बड़ी प्रतिमा बनाई गई है और उसके अंदर ही छोटे से पहाड़ी रूप में शिवलिंग और शिवलिंग में से गंगाजल निकलता हुआ दिखेगा। और इस मंदिर में सबसे निचले हिस्से पर दो कक्ष बनाए गए हैं जिसमें भगवान महादेव का शिवलिंग और भगवान महादेव में पार्वती की मूर्ति स्थापित है।

3. किशनगढ़ का किला

किशनगढ़ का किला
किशनगढ़ का सबसे पुराना किला


किशनगढ़ में ही मदनगंज के पास किशनगढ़ का किला है जो कि किशन सिंह के द्वारा बनाया गया था और उसके बाद इस किले को उनके वंशजों ने समय-समय पर परिवर्तन कराए और इस किले पर शासन किया। अगर बात आज की जाए तो यह किला  आज एक पर्यटक होटल के रूप में तब्दील हो गया है और इसकी देखभाल के लिए भी सरकार ने अभी तक कुछ ऐसा विशेष कार्य इसमें नहीं किया गया है लेकिन इसके अंदर देखने का नजारा कुछ अलग ही मिलता है आज भी ऐसी अवशेष और राजा महाराजा जैसी अंदर आपको सुविधा और एक अलग ही आनंद आपको मिलेगा। इसका निर्माण बड़ी-बड़ी दीवारों द्वारा झील के पास किया गया था यह फूल पैलेस के साथ ही मिलकर बनाया गया था।

3a. किशनगढ़ का रहस्यमई किला और आत्महत्या बिंदु

किशनगढ़ का रहस्यमई किला, मंदिर के रूप में

एक रहस्यमई किला किशनगढ़ के सबसे ऊंचे पहाड़ों के सबसे ऊंचाई पर है जो कि अब इस को एक मंदिर के रूप में तब्दील कर दिया गया है यह किशनगढ़ के स्थापना के समय बनाया गया था जो कि आज के समय एक हनुमान मंदिर के रूप में हैं। यहां पर पहुंचने के लिए किशनगढ़ के अंदर से पहाड़ों पर काफी दूर तक जाना पड़ता है और यह घने जंगलों से होकर गुजरना पड़ता है।ऐसा कहा जाता है कि यहां पर कई लोगों ने आत्महत्या की है जो कि खाई में कूदकर करने से की गई थी। इस किले का निर्माण किशनगढ़ के शासक ने ही किया था। और इस किले के अंदर काफी गहरे कुएं और गुफा बनी हुई है जो कि पहले के समय में कहा जाता था कि यहां पर शेरों में लड़ाई होती थी।

4. फूल महल पैलेस

फूल महल


राजा पृथ्वी सिंह के द्वारा 1870 में इसको बनाया गया यह फूल पैलेस भी किशनगढ़ के किले के बराबर में ही है इसके सामने एक झील भी है जिसमें इस पैलेस के बाहर व अन्दर से झील का नजारा देखा जा सकता है वर्तमान में इसको होटल के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है। इस महल का नाम फूल में इसलिए रखा गया कि कि राजा के समय यह एक फूलों से सुसज्जित महल बनाया गया था जिसके अंदर फूल ही फूल थे।

5. संत नगरी दास पैनोरमा

संत नगरी दास पैनोरमा
संत नागरी दास

फूल महल पैलेस के सामने ही झील के बीचो बीच संत नगरी दास पैनोरमा बनाया गया है जो कि राजा राज सिंह के द्वारा बनाया गया है। इसमें आने के बाद आपको यहां का एक अलग ही नजारा दिखाई देगा क्योंकि यह झील के बीचो-बीच बनाया गया है और यहां से आपको सामने फूल पैलेस किशनगढ़ का किला और ऊंची ऊंची पहाड़ी दिखाई देगी यहां पर इसमें आपको जिलों में छोटी-छोटी मछलियां भी दिखाई देगी और पक्षियों भी आपको दिखेंगे। इस डील को गुम तालाब के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यहां पर कुछ भी गिरने पर वह गुम हो जाता है जो कि दिखाई नहीं  देता जिसके कारण इसको गुम तलाब या गुंडालाओ झील कहते हैं। यह काफी गहरा बताया जाता है और काफी बड़ा तालाब भी है। यहां पर ही एक शमशान भूमि भी है जिसमें यहां के शासक महाराज यगनारायण ब्रजराज सिंह जी की निजी संपत्ति है है।
संत नागरिक दास के अंदर बनी राजा सावन दास की प्रतिमा उनके माता-पिता व गुरु की

इसके अंदर महाराजा सावंत और उनके गुरु दास प्रतिमा और उनके बचपन से लेकर बड़े तक का प्रतिमा और उनके बारे में प्रदर्शित किया गया है। इसमें दो बड़े वे दो मंजिलें कक्ष है जो कि दाएं और बाएं हिस्से में स्थित है। इस के बराबर में ही एक हनुमान जी का मंदिर है ।इसको राजस्थान की धरोहर संरक्षण स्थल के रूप में राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा 2018 में स्वीकृति दी गई थी जिसके बाद यह यहां की धरोहर संरक्षण स्थल है

झीलों के बीच बनी इस जगह को मोखम विलास भी कहा जाता है

6. जय मां काली धाम मंदिर

महाकाली धाम मंदिर
महाकाली धाम मंदिर


झील के पास ही जय मां काली माता का मंदिर है जो कि किशनगढ़ में काफी प्रसिद्ध मंदिर माना जाता है यहां नवरात्रों में काफी भीड़ रहती है इसमें दुर्गा पूजा के दिन भी काफी संख्या में लोग यहां पर आकर पूजा करते हैं यहां पर नवरात्रों में मेला भी लगता है इस मंदिर में काली माता की मूर्ति के साथ महादेव का सबसे बड़ा शिवलिंग भी बनाया गया है।

7. किशनगढ़ की मार्बल सिटी 

मार्बल सिटी

किशनगढ़ एक प्रसिद्ध जगह है जिसको राजस्थान की सबसे प्रसिद्ध मार्बल सिटी में से गिना जाता है। मार्बल सिटी के पास ऐसी जगह है जो कि मार्बल सफेद रेत की भरपूर मात्रा में है दिखने में बिल्कुल यह जगह किसी कश्मीर से कम नहीं लगेगा आपको ऐसा महसूस होगा कि आप कश्मीर में हो। इस जगह पर पर्यटक काफी दूर-दूर से शॉर्ट वीडियो या फोटो लेने के लिए और यहां का आनंद लेने के लिए आते हैं इस जगह पर फिल्मी शूटिंग भी होती रहती हैं जो कि मुंबई से काफी कलाकार आते रहते हैं। इस जगह पर आपको दूर-दूर तक सफेद ही नजारा मिलेगा और यहां पर आपको झील भी मिलेगी जो कि यहां का अलग ही नजारा व घूमने के लिए आनंद आता है। किशनगढ़ के केंद्र से करीब 10 किलोमीटर दूर है।
डंपिंग यार्ड, मार्बल सिटी

इस जगह को डंपिंग यार्ड के नाम से जाना जाता है और इसको स्वीटजरलैंड भी कहा जाता है


8. खोड़ा गणेश मंदिर

खोड़ा गणेश मंदिर


यहां का सबसे प्रसिद्ध मंदिर खोड़ा गणेश मंदिर भी है जो कि यहां पर काफी दूर-दूर से आते हैं और यहां के गांव की मान्यता है के अनुसार कोई भी शादी करता है तो सबसे पहले यहां पर जरूर पूजा करता है। इस मंदिर में दीवार से सट्टा कर ही गणेश की प्रतिमा बनाई गई है। यह भी किशनगढ़ के केंद्र से लगभग 10 किलोमीटर दूर खोड़ा गांव में स्थित है। जहां पर लगों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर के पीछे ही भूतों ने वहां के पत्थरों से एक दीवार का निर्माण करवा दिया गया था जो काफी ऊंची ऊंची है।

9. नवग्रह मंदिर

किशनगढ़ में नवग्रह मंदिर
किशनगढ़ शहर से ही 4 किलोमीटर दूर भैरव घाट रोड पर पुराना शहर किशनगढ़ में विश्व का एकमात्र नवग्रह मंदिर है। इस मंदिर का नाम प्राचीन विश्व विख्यात सर्वप्रथम नवग्रह मंदिर है। यह  भारत का प्रथम नवग्रह एकमात्र मंदिर है इस मंदिर के अंदर नौ ग्रह पर बारे में दिखाया गया है। और इस मंदिर के आसपास हरियाली व हरा भरा पार्क है।


10. रूपनगढ़ का किला

रुपनगढ़
रूपनगढ़ का किला


किशनगढ़ से करीब 25 किलोमीटर दूर ही रूपनगढ़ का किला है जिसका निर्माण किशनगढ़ के महाराजा रूप सिंह ने करवाया था और रुपनगढ़ को किशनगढ़ की राजधानी के रूप में विकसित किया था आज के समय में रूपनगढ़ का किला एक होटल में तब्दील हो चुका है और रुपनगढ़ के पास रुपनगढ़ शहर भी बसा हुआ है यहां पर एक मंदिर भी है जो काफी प्रसिद्ध मंदिर माना जाता है। (रुपनगढ़ का इतिहास देखें)

11. अजमेर

किशनगढ़ से करीब 30 किलोमीटर दूर है अजमेर सिटी है जो कि  एक प्रसिद्ध स्थल है यहां पर कई ऐसे स्थान हैं जो कि ऐतिहासिक और धार्मिक स्थान है। यह राजस्थान का एक जिला है। जहां पर आप राष्ट्रीय राजमार्ग और रेल के माध्यम से आ सकते हैं जो कि अजमेर है( अजमेर का इतिहास देखें )

किशनगढ़ का पहाड़ों से दृश्य

किशनगढ़ शहर का दृश्य
किशनगढ़ शहर एक प्रसिद्ध स्थान होने के साथ ही किशनगढ़ शहर वह शेर है जहां का दृश्य रात्रि वह दिन के समय में पहाड़ों से एक अलग ही दृश्य देखने को मिलता है यहां का दृश्य रात्रि के समय और भी सुंदर हो जाता है और पहाड़ों से देखने का यहां का दृश्य काफी अति सुंदर लगता है इसलिए किशनगढ़ एक प्रसिद्ध स्थल होने के साथ ही एक सुंदर प्राकृतिक शहर भी है।




किशनगढ़ के लिए यातायात के साधन

आप देश के किसी भी जगह से किशनगढ़ में बस, कार, रेल, व हवाई जहाज के मार्ग से यहां पर आ सकते हैं।

1. राजमार्ग के माध्यम से

जयपुर अजमेर सड़क मार्ग


यह  किशनगढ़ दिल्ली अजमेर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है जिससे आप दिल्ली से किशनगढ़ या अन्य जगह से इस राष्ट्रीय मार्ग के द्वारा  बस वह अपनी कार से आ सकते हैं

2.  भारतीय रेलवे के माध्यम से

किशनगढ़ का रेलवे स्टेशन

यहां का सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन और एकमात्र स्टेशन है जिसके द्वारा आप भारत के किसी भी जगह से यहां पर रेलवे के माध्यम से आ सकते हैं।

3. किशनगढ़ हवाई अड्डा

किशनगढ़ हवाई अड्डा

यहां  का नियर हवाई अड्डा किशनगढ़ का हवाई अड्डा है लेकिन यहां पर अभी कई जगह से हवाई जहाज का आना शुरू हुआ नहीं है। इसके अलावा जहां का हवाई अड्डा जयपुर और अजमेर का है।

किशनगढ़ में ठहरने या रुकने की व्यवस्था

अगर आप किशनगढ़ में 2 या 3 दिन या 1 हफ्ते के लिए घूमने के प्लानिंग की हुई है तो आप यहां पर होटल में रुक सकते हैं किशनगढ़ में भी कई ऐसे छोटे व बड़े होटल है जहां पर आप आसानी से रह सकते हैं जहां पर फूल पैलेस किशनगढ़ का किला तो सबसे बड़े होटल के रूप में माने जाते हैं।


किशनगढ़ औद्योगिक क्षेत्र के रूप में

किशनगढ़ का क्षेत्र काफी औद्योगिक क्षेत्रों से भरा हुआ है यहां पर कई प्रकार के औद्योगिक कंपनियां है यह  क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रसिद्ध मार्बल बेस्ट सीमेंट  के रूप में जाना जाता है यहां का सबसे प्रसिद्ध औद्योगिक क्षेत्र मार्बल है इसके अलावा भी यहां पर कई अलग-अलग प्रकार के औद्योगिक क्षेत्र लगे हुए हैं। आरके ग्रुप का  मार्बल व सीमेंट का मुख्यालय भी यहीं पर है

किशनगढ़ को संगमरमर का शहर भी कहा जाता है क्योंकि यहां पर संगमरमर का बाजार भी है।


अतः दोस्तों मैं आशा करता हूं कि आपको मेरे द्वारा दी गई है जानकारी बहुत अच्छी लगी होगी और आपके लिए लाभदायक होगी। और अनुरोध है कि अगर आपको जानकारी अच्छी लगी है तो आप यह जानकारी अपने दोस्तों व अन्य जगह जरूर शेयर करें🙏

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