लोधी गार्डन का इतिहास(History of Lodhi garden)

क्या आप जानते हो❔दिल्ली के लोधी गार्डन का इतिहास क्या है❔लोधी गार्डन में क्या क्या और कौन -सा मकबरे है❔किस शासक ने इनका निर्माण कराया और किन-किन शासकों का यहा पर मकबरा है? क्या आप जानते हो❔ यह मकबरे का नाम लोधी गार्डन कैसे पड़ा और लोधी गार्डन से पहले यह एक गांव होता था❔ क्या आप जानते हो अंग्रेजों के शासन काल में यह कैसे गांव से एक  गार्डन में परिवर्तित हुआ और कैसे इसका नाम लोधी गार्डन पड़ा❔ तो चलिए जानते इन सभी सवालों के साथ लोधी गार्डन का इतिहास क्या है:-

दिल्ली का लोधी गार्डन के अंदर पार्क और मकबरे
लोधी गार्डन के अंदर विभिन्न मकबरे

दिल्ली लोधी गार्डन कहा पर हैं?

यह भारत की राजधानी दिल्ली के केंद्रीय भाग में दक्षिणी मध्य इलाके के    लोधी रोड पर लोधी स्टेट पर है।मेप के लिए लोधी गार्डन के लिए मैप

 दिल्ली का लोधी गार्डन के बारे में

दिल्ली में स्थित लोधी गार्डन वर्तमान में पार्क के साथ ही एक पर्यटक स्थल है जो ऐतिहासिक व प्रसिद्ध है।  इस पार्क में बड़ा उद्यान के साथ ही सिकंदर लोधी का मकबरा और बड़ा व् छोटा शीश गुम्बद स्थित है। अंग्रेजों के शासन काल 1936 में निर्मित गार्डन का नाम लेडी विलींगडन पार्क रखा गया था इस कृत्रिम उद्यान का निर्माण खैरपुर गांव को स्थानांतरित करके किया  गया था यह ब्रिटिश काल की नई दिल्ली का दक्षिणी छोर कहलाता था। इस उद्यान में सैयद और लोधी से लेकर मुगल काल तक की वास्तुकला शैली की असाधारण समृत विविधता मौजूद है। वर्तमान में भूदृश्य की रूपरेखा इंडियन इंटरनेशनल सेंटर के वास्तुकार जोसेफ स्टेन द्वारा बनाई गई है और इसमें जापान के भू-दश्य  डिजाइनरों के एक दल द्वारा सुधार किया गया है आज पक्षियों की अनेक प्रजाति का स्वर्ग माने जाने वाले इस लोधी गार्डन को एशिया का सर्वश्री मरू उद्यान कहा जाता है।

वर्तमान समय में  यह पार्क के रूप में गिना जाता है और इस पार्क में कई ऐसे पर्यटक है जो यहां पर घूमने आनंद लेने, खेलने, और लंच के समय बिताने के लिए इस पार्क का आनंद लेते हैं कई लोगों का यह छुट्टी बिताने का जगह भी होता है।


लोधी गार्डन पार्क का इतिहास

लोधी गार्डन पार्क का इतिहास काफी पुराना नहीं है लगभग 300 साल पूर्व का है जब दिल्ली पर सिकंदर लोदी का शासन हुआ करता था। जैसे-जैसे समय बीतता गया इस जगह का वातावरण और रूपरेखा भी परिवर्तन होती रही  है। आज के समय में यह  पार्क के साथ ही एक प्रसिद्ध स्थान है तो चलिए जानते हैं दिल्ली के लोधी गार्डन का इतिहास।

सैयद वंश के शासन काल में

दिल्ली में स्थित लोधी गार्डन 15वीं शताब्दी में एक जंगल के रुप मे उघान  हुआ करता था।  जहां पर सैयद वंश के मोहम्मद शाह  की मृत्यु के पश्चात यहां पर उनके उत्तराधिकार  ने सन 1444 ने उनको दफनाया गया और इसके बाद ही यहां पर मोहम्मद शाह का मकबरा का निर्माण किया गया।


लोदी वंश के शासन काल में

लोदी वंश के शासक बहलाल खान की मृत्यु के पश्चात सिकंदर लोदी दिल्ली के तख्त पर बैठा और 1516 तक यहां पर शासन किया इसके बाद 1517 में जब सिकंदर लोधी की मृत्यु हुई उसके पश्चात इनका पुत्र उत्तराधिकारी बना एवं सिकंदर लोधी को लोधी गार्डन के एक जगह पर दफनाया गया और इसके साथ ही लोधी गार्डन में  सिकंदर लोदी के नाम का एक मकबरा बनाया गया। मोहम्मद शाह के मकबरे से कुछ दूरी पर ही यह मकबर है।

खैरपुर गांव के रूप में 

15 व 16 शताब्दी में जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे वैसे इन मकबारों की देखरेख करने वाला कोई नहीं रहा जिसके चलते यहां पर धीरे-धीरे एक आबादी वाला गांव बस गया ,जिसका नाम खैरपुर था । इस दौरान यहां पर लोगों ने इन मकबरा के कुछ जगह पर कब्जा भी कर लिया था। और दूसरों ने इनके आसपास घर बना लिए और ऐसे खैरपुर गांव बस गया।यह गांव 1912 तक यहाँ बसा रहा था।

ब्रिटिश के शासनकाल में 

लोधी गार्डन 1936 में अस्तित्व में आया जब अंग्रेजों ने लोधी गार्डन में बने मकबरे और आसपास हरे भरे उद्यान को मिलाकर एक गार्डन बनाया जिसके तहत वहां पर बसे गांव को दूसरी जगह स्थानांतरित किया गया और ऐतिहासिक इमारतों को यथावत रहने दिया गया।इस पूरे क्षेत्र को एक हरे-भरे गार्डन में परिवर्तित कर दिया गया और इस उद्यान को भारत के गवर्नर जनरल रहे वेलिंगटन के माक्वेंस की पत्नी लेडी विलींगडन के लिये बनाया गया और बाद में  फिर इसे लेडी विलींगडन पार्क के नाम  रखा गया।

भारत के स्वतंत्रता के बाद

भारत के आजाद होने के बाद भारत सरकार ने इस गार्डन का पुनः नामकरण किया और इसका नाम लोधी गार्डन रख दिया गया और इसके बाद  सन 1968  में, गार्डन को एक अमेरिकी वास्तुकार जोसेफ स्टीन द्वारा फिर से पुननिर्मित करवाया गया, इस दौरान बगीचे में एक ग्लास हाउस भी स्थापित किया गया।

वर्तमान में लोधी गार्डन के अंदर प्रसिद्ध  व पर्यटन स्थल

लोधी गार्डन प्रसिद्ध मकबरा के साथ ही कई छोटे-बड़े गुंबद और हरे-भरे पेड़ पौधे के साथ ही वहां एक तालाब भी है जिस पर एक पुल बनाया गया था जो कि दूर  दूर से इनको देखने के लिए और यहा  का आनंद लेने के लिए आते रहते हैं

1. मोहम्मद शाह का मकबरा

मोहम्मद शाह सैयद वंश का तीसरा शासक था जिसने दिल्ली समेत अन्य राज्य पर शासन किया इनकी मृत्यु के पश्चात मोहम्मद शाह  के उत्तराधिकार पुत्र आलम शाह ने 1644 के बाद इस मकबरे का निर्माण करवाया और इसका नाम मोहम्मद शाह का मकबरा रखा।


इसका रंग रुप व आकार 

यह 2 फुट ऊंचे गोल चबूतरे पर स्थित है और यह देखने में बिल्कुल कमल के मुकुट के समान व अष्टकोणीय  आकार  के रूप में दिखता है

इस मकबरे के चारों तरफ हरे-भरे बाग  और हरा भरा वातावरण रहता है। और इसका ऊपरी हिस्सा गोल गुंबद के आकार में है। इस के ऊपरी हिस्से में एक बड़ा गुंबद और बाकी छोटे छटे गुंबद गोल आकृति में बने हुए हैं।

लोधी गार्डन के मकबरे में यह सबसे बड़ा मकबरा कहा जाता है।

2. सिकंदर लोदी का मकबरा 

सिकंदर लोदी,  लोदी वंश के दूसरे शासक थे जिन्होंने 1489 से 1517 तक शासन किया था। इनकी मृत्यु के पश्चात इनके उत्तराधिकार पुत्र ने इनके लिए यहां पर सन 1527 के आसपास गार्डन के अंदर मकबरा बनाया और इसका नाम सिकंदर लोदी का मकबरा रखा गया।
                                           सिकंदर लोधी का मकबरा 

इसका रंग रुप व आकार 

इनका यह मकबरा एक विशाल दिवार  से घिरे उद्यान में स्थित है जिसका क्षेत्रफल लगभग 76 मीटर वर्ग है। जो इसकी दीवारें 3.5 मीटर ऊंची है सामने की ओर वर्गाकार चबूतरे पर निर्मित 2 छतरियों  में अब भी नीली टाइलो के अवशेष बचे हैं। अहाते के अंदर पश्चिमी दीवार के मध्य भाग का निर्माण इस तरह से किया गया है ताकि यह दीवार मस्जिद का काम कर सके जिस पर कीबला  या इबादत की दिशा को मेहराब के रूप में दर्शाया गया है इसके सामने की ओर खंडजा बिछा हुआ है अहाते के बीचो-बीच अष्टभुजाकार मकबरा है इस के अंदरूनी हिस्सों को अलंकरण मुख्य टाइलो द्वारा किया गया है छत के अंदरूनी भाग  पलस्तर को उखाड कर चित्रकारी की गई है।

3. शीश- गुम्बद

शीश गुंबद लोधी गार्डन में सिकंदर लोदी के मकबरे से थोड़ी ही दूर है। वहां पर लिखे लेख के अनुसार,इसका निर्माण लोदी वंश के सुल्तानों के राज्य काल(1454-1526) में  किया गया। बाहरी दीवार पर लगे नीले रंग के चमकदार टाइलों के कारण इसका नाम शीश गुम्बद पड़ा। ऐसा प्रतीत होता है कि मूल रूप से बाहरी भाग का ऊपरी  हिस्स टाइलों  से अलंकृत रहा होगा और इसके अंदर कई कब्रे है लेकिन यह जानकारी नहीं कि यहां किनको दफनाया गया था कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यह मकबरा प्रथम लोधी बादशाह बहलोल लोदी का है जिनकी मृत्यु सन् 1489 ईसवी में हुई थी। है 

शीश गुम्बद 

शीश गुंबद का रंग-रूप व आकार


यह शीश गुंबद बाहर से दिखने में दो मंजिलें के रूप में प्रतीत होता है। भीतर इसकी पश्चिमी दीवार में बनी मेहराब मस्जिद का काम देती थी। इसका प्रवेश द्वार मेहराबदार हैं। इस  गुंबद की दीवारों के मध्य में उभरे हुए चौखटो के बीच प्रवेश द्वार बने हैं। और इसकी छत पर एक छतरी प्रकार के रूप में चबूतरा सा बनाया हुआ है। केंद्रीय द्वारों में दिवार पर रखे सिरदल हिंदू और इस्लामी वास्तुकला के सम्मिश्रण का उदाहरण है। इसकी छत पर चूने को  उतारकर रंगों से चित्रित, फूल पत्तियों के नमूने और कुरान की आयतों के अभिलेखों की सजावट है। 

इस शीश गुंबद का निर्माण करीब 2 फुट ऊंचे वर्ग चबूतरे पर किया गया है और इसको बलुआ पत्थरों से निर्मित किया गया है। इस मकबरे का कक्ष 10 मीटर वर्गाकार हैं और इस गुंबद के अंदरूनी छत के पलस्तर को उकेर कर अलंकृत किया गया है और उस पर चित्रकारी की गई है।


3.बडा गुम्बद 



सिकंदर लोदी और मोहम्मद शाह मकबरे के बाद लोधी गार्डन में एक बड़ा गुंबद है। यह बड़ा गुंबद ठीक शीश गुंबद के सामने ही है। वहां पर लिखे लेख के अनुसार, लोदी वंश के राज्य काल में दो प्रकार के मकबरे का निर्माण हुआ: चौकोर और अठपहलू। बड़ा गुंबद इसके उत्तर में स्थित शीश गुंबद जो कोड रूप के मकबरे के उदाहरण हैं जबकि लोधी बाग में विधमान अन्य दो मकबरे अठपहलू है। इस शानदार इमारत को  लोदी वंश 1451 से 1526 के काल का प्रवेश द्वार मानी जाती है। बड़े गुंबद में दफनाए गए व्यक्ति का नाम भी अज्ञात है और इसकी खबर भी अब शेष नहीं है किंतु निश्चित ही वह सिकंदर लोदी के राज्य काल में किसी विशेष बड़े पद पर रहा होगा।





 


इस बड़े गुंबद का रंग-रूप व आकार

यह गुंबद भी शीश गुंबद के समान ही बाहर से दो मंजिला रूप में प्रतीत होता है। किंत बड़ा  गुम्बद  कुछ विशेष लक्षणों से युक्त एक मकबरा है। इसका निर्माण मुख्य भूरे रंग के पत्थरो के प्रयोग से किया गया है जबकि कुछ अन्य पत्थरो का सजावट के तौर पर इस्तेमाल किया गया है जैसे दरवाजों पर लाल बलुआ पत्थर तथा अगले हिस्से में लाल भूरे तथा  काले रंग के मिले-जुले पत्थर। इसकी अंदरूनी हिस्सा बेहद मामूली है और पत्थरों पर ना तो पलस्तर है और ना ही अधिकांश पत्थरों पर नक्काशी की गई है।


बड़ा गुम्बद व मस्जिद 


4. बड़ा गुंबद मस्जिद

बड़ा गुंबद के दाएं बाएं हिस्से पर मस्जिद का निर्माण किया गया है जो उस समय नवाज पढ़ने के लिए बनाए गए थे। इस बड़े शीश गुंबद व  मस्जिद के साथ तीन गुंबद वाले इमारत का निर्माण लोदी वंश के राज्य काल के दौरान किया गया I जोकि सन 1494 के आसपास बनाई गई होगी।
बड़ा गुम्बद मस्जिद 



मस्जिद के सामने तीन कक्ष 


इस बड़े गुंबद मस्जिद का आकार व रंग रुप 

इस मस्जिद की लंबाई 25 मीटर और चौड़ाई 6.5 मीटर है जो लोदी वंश के दौरान इस्तेमाल होने वाली उत्तकीर्ण और चित्रित चूना पत्थर की सजावटी तकनीक का बेहतरीन नमूना माना जाता है इसके अन्य खास विशेषता में झरोखे  और कोनो पर बनी मीनारें है जिनका आकार कुतुबमीनार की तरह  है। लेकिन उनके स्थान से ज्ञात होता है जैसे कि प्रारंभिक मुगलसूर काल  के आठभुजी बुर्जो  के पूर्वजों हो। इसी प्रकार मस्जिद के दक्षिण तथा उत्तर की ओर बनी गौरवनुमा खिड़कियां भी पर्वती मस्जिद के वस्तु लक्षणों का आभास देती है। मस्जिद के प्रार्थना ग्रह के सामने पांच खुली मेहराब है और उनके ऊपर टेढ़ेदार छज्जे बने हुए हैं।

मस्जिद का भीतरी भाग 



मस्जिद का भीतरी भाग अरबी शैली की घनी कलाकारी तथा रंगीन बलबूते ज्यामितिय अलंकरण और कुरान की आयतों से सजाया गया है। इसमें तुगलक व  मुगल शैली के लक्षण विद्वान होने के कारण इस इमारत का मुगल मस्जिद के विकास में विशेष हाथ है।

मस्जिद के सामने स्थित लंबा प्रांगण है जिसमें रोडी पत्थर से निर्मित एक पीला है जो शायद किसी कब्र का चबूतरा रहा होगा। इसके आगे कक्ष है जो आकार  में मस्जिद के जैसा है और संभवत के निवास स्थान व सिंहासन खाने के रूप में बनवाया गया होगा। 


5.अठपुला

लोधी गार्डन में सिकंदर लोदी गार्डन के बाएं हिस्से में एक तालाब है जहां पर 8 स्तंभों से मिलकर एक पुल का निर्माण किया गया है इसको अठपुला कहा जाता है। इसका निर्माण मुगल बादशाह अकबर के शासनकाल के दौरान निर्मित यह मेहराबी  पुल एक नाले पर बनाया गया था जो इस इलाके से होता हुआ संभव दक्षिण की ओर बारापूला नाले में मिलता था जो आगे यमुना नदी में गिरता था।यह स्पष्ट नहीं है कि कौन सी सड़क स्कूल के ऊपर से गुजरती थी लेकिन इसके आसपास बना मुगल बगीचे दर्शाता है कि यह कोई महत्वपूर्ण विश्राम स्थल रहा होगा।
नाले पर निर्मित अठपुला पुल

इसका रंग रूप व आकार

यह पुल सात निर्मित  7 स्तंभ से मिलकर आठ मेहराबों द्वारा इस पुल का निर्माण कराया गया है जिसको 88 अठपुला कहां जाता है। इस पुल का निर्माण लाल, पीले व काले बलुआ पत्थर से किया गया है। यह पुल कुछ तिरछा बना है और इसका मोड़ बेहद आकर्षक है।


लोधी गार्डन को भारतीय पुरातत्व संरक्षण

दिल्ली के लोधी गार्डन को भारतीय प्राचीन स्मारक वे पुरातत्व स्थल विशेष अधिनियम 1958 के 24 के अंतर्गत राष्ट्रीय महत्व का घोषित किया गया है। और इसको संरक्षित किया गया है।

दिल्ली लोधी गार्डन की कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

दिल्ली के लोधी गार्डन दिल्ली के जनता के लिए एक पार्क  के साथ ही एक पर्यटन स्थल भी है जो अपने आप में ऐतिहासिक और प्रसिद्ध है इसके कुछ महत्वपूर्ण रोचक बिंदु भी हैं:-
  1. 13वीं शताब्दी तक यह लोधी गार्डन एक बड़े उद्यान व बाघ  का हिस्सा हुआ करता था। यह बात एक जल द्वारा सिंचित था। जिससे "बाग-ए-जुद" के नाम से जाना जाता था। जिसका अर्थ था "बहुतायत का बगीचा"।
  2. ऐसा कहा जाता है कि इस गार्डन में  दिल्ली के सुल्तान विदेशी दूतों से मिलते थे।
  3. यह लोधी गार्डन में मकबरे 14 व 15 वी शताब्दी मे यहा के शासको द्वारा बनाये गये थे।
  4. मोहम्मद शाह का मकबरा उनके पुत्र व उत्तराधिकारी आलम शाह ने बनवाया था।
  5. गार्डन के अंदर सबसे पहले बने कब्रिस्तान को अलाउद्दीन आलम शाह ने मोहम्मद शाह को श्रद्धांजलि के रूप में बनवाया था।
  6. सिकंदर लोदी का मकबरा उनके पुत्र व उत्तराधिकारी ने सन 1527 में बनवाया था।
  7. लोधी गार्डन में  2 वंशो के मकबरे है एक सैयद वंश और दूसरा लोदी वंश है।
  8. अकबर शासनकाल के दौरान यहां पर एक "अठपुला" पुल के नाम का निर्माण किया गया जो यहां तालाब पर स्थित है
  9. इन मकबरो की देखभाल  करने वाला कोई नही रहा जिसके कारण 16 वीं शताब्दी के मध्य यहां पर एक गांव बसाया गया था जिसका नाम खैरपुर गांव था। यह गांव 1912 तक यहां पर बसा हुआ था।
  10. जब अंग्रेजों द्वारा भारत की राजधानी नई दिल्ली पर काम शुरू किया गया तो यह गांव को कई और बसाया गया लेकिन ऐतिहासिक इमारत को ऐसे ही रहने दिया और इस बाघ का सौंदर्यीकरण किया गया।
  11. 1936 में यह निर्मित होकर इसका नाम भारत के वायसराय वेलिंगटन के माक्वेंस की पत्नी लेडी विलींगडन के नाम पर रखा गया।
  12. भारत के आजाद होने के बाद इस गार्डन का नाम भारत सरकार द्वारा लोदी वंश के नाम पर लोधी गार्डन रखा गया क्योंकि इस गार्डन पर लोधी शासन और लोध वंश के कई कब्र स्थित थी।
  13. इस गार्डन में स्थित मोहम्मद शाह का मकबरा इस्लाम और हिंदू स्थापत्य शैली का एक अनोखा उदाहरण है।
  14. इस गार्डन में इंडो-इस्लामिक शैली में निर्मित केंद्रीय गुंबद एक अष्टकोणीय डिजाइन है। मकबरा एक गुंबददार प्रवेश द्वार के साथ एक संलग्न इमारत के रूप में खड़ा है और इसकी दीवारों पर मुगल स्थापत्य डिजाइन है। इसे भारत में पहला संलग्न उद्यान मकबरा माना जाता है।
  15. सन् 1968 में, गार्डन को एक अमेरिकी वास्तुकार जोसेफ स्टीन द्वारा फिर से पुननिर्मित करवाया गया, इस दौरान बगीचे में एक ग्लास हाउस भी स्थापित किया गया।
  16. इसमें जापान के भूत दृश्य डिजाइनरों के एक दल द्वारा सुधार किया गया था।
  17. लोधी गार्डन में 2005 के बाद से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण पार्क क्षेत्र के भीतर छात्रों और आम जनता के लिए हेरिटेज वॉक आयोजित करता है।
  18. नई दिल्ली नगरपालिका परिषद(Ndmc) ने बगीचों में पेड़ों की 100 प्रजातियों को क्यूआर कोड संलग्न किया है। जिससे किसी भी पौधे को काटने से रोका जा सके।
  19. वर्तमान में इस गार्डन को पक्षियों की अनेक प्रजातियों का स्वर्ग माना जाता है और इस लोधी गार्डन को एशिया का सर्वश्रेष्ठ शहरी मरू उद्यान कहा जाता है।
  20. यह दिल्ली का पहला पार्क है जहां पर ऐतिहासिक स्मारक के साथ की सबसे हरा- भरा गार्डन है


इस लोधी गार्डन का प्रवेश शुल्क व समय

दिल्ली के लोधी गार्डन में कोई प्रवेश शुल्क नहीं है

ग्रीष्म काल में अप्रैल से सितंबर तक यह अपराध 5:00 से रात्रि 8:00 बजे तक प्रवेश रहता है और शीतकाल में अक्टूबर से मार्च प्रातः 6:00 बजे से रात्रि 8:00 बजे तक रहता है।


यहां के लिए यातायात के साधन

दिल्ली के लोधी गार्डन में आप ऑटोकार रिक्शा, बस, मेट्रो रेल, के माध्यम से आ सकते हो:-
1. यहां का नियर भारतीय रेलवे स्टेशन नई दिल्ली व हजरत निजामुद्दीन है।
2. यहां का नियर मेट्रो स्टेशन जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम व खान मार्किट है।
3. यहां का  हवाई अड्डा इंदिरा गांधी हवाई अड्डा है।
4. यहां पर आप अपनी कार या अन्य साधन से भी आ सकते हैं यह दिल्ली केंद्रीय भाग के लोधी मार्ग पर स्थित है।

लोधी गार्डन के अंदर की कुछ अन्य  फोटो
सिकंदर मकबरे के सामने चार 4 खंभों का खंड

शीश गुंबद के अंदर कब्र और छत 

शीश गुंबद का प्रवेश द्वार

बड़ा गुंबद की छत




लोधी गार्डन के बाहर 


यहां पर नजदीक घूमने वाली जगह
1. हुमायूं का मकबरा
2. सफदरजंग का मकबरा
3. दिल्ली का पुराना किला


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